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    हरियाणा: कोहरे में गुम हो रही राह... 75 फीसदी सड़कों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे; आप भी पढ़ें कैसे हैं हालात

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 03:57 PM (IST)

    दैनिक जागरण की पड़ताल में हरियाणा की सड़कों पर कोहरे के कारण बढ़ते हादसों का खुलासा हुआ। 14 जिलों में 150 से अधिक सड़कों का निरीक्षण किया गया, जिसमें ...और पढ़ें

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     150 से अधिक सड़कों/प्वाइंट्स का निरीक्षण किया गया। (जागरण फोटो)

    जागरण टीम, पंचकूला। कोहरे के मौसम में हरियाणा की सड़कों पर बढ़ते हादसों के बीच दैनिक जागरण ने अपने अभियान के तहत रात में जमीनी पड़ताल की। इस अभियान में प्रदेश के 14 जिलों में हाईवे, बाईपास, लिंक रोड और ग्रामीण मार्गों समेत करीब 150 से अधिक सड़कों/प्वाइंट्स का निरीक्षण किया गया।

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    पड़ताल में सामने आया कि अधिकांश स्थानों पर संकेतक झाड़ियों में छिपे हैं, नहर-तालाबों के किनारे रेलिंग नहीं। कोहरा खतरे को बढ़ाता है, लेकिन असल वजह वर्षों से उपेक्षित पड़ी सड़क सुरक्षा व्यवस्था है। हालात ऐसे हैं कि 75 प्रतिशत मार्गों पर रिफ्लेक्टर या ब्लिंकर तक नहीं हैं, जो हैं वो किसी काम के नहीं हैं।

    इन जिलों के कैसे हैं हालात?

    • यमुनानगर: तालाबों-नहरों के पास टूटी रेलिंग, पुलों की दीवारें गायब मिलीं। हमीदा हेड पर ब्लाइंड मोड़ और खराब एलईडी लाइटें थी। अवैध पार्किंग और फैली टहनियां दृश्यता घटाकर जोखिम बढ़ा रही हैं।
    •  जींद: लिंक मार्गों पर खड़े मोड़, साइन बोर्ड पेड़ों में ढके हैं। नगूरां व जीवनपुर में रोड पर सफेद पट्टी तक अभी नहीं लग पाई है।
    • अंबाला: तालाबों और नहरों के किनारे रिटेनिंग वाल नहीं। एसवाइएल व नरवाना ब्रांच के साथ चलती सड़कों पर धुंध में दिशा पहचान मुश्किल, हादसे का स्थायी खतरा। 
    • फतेहाबाद: पिछले बड़े हादसे के बाद एक स्थान पर सुधार हुआ, लेकिन अन्य मार्गों पर टूटी रेलिंग और बिना छंटाई झाड़ियां बनी रहीं। ग्रामीण सड़कों पर सुरक्षा इंतजाम नदारद।
    • झज्जर: संकेतक झाड़ियों में छिपे, रेलिंग क्षतिग्रस्त। तालाबों और अंधे मोड़ों पर जोखिम जस का तस। इनकी मरम्मत और ट्रैकिंग नहीं हो रही।
    •  करनाल: ग्रामीण इलाकों में न रेलिंग, न लाइट। नहर किनारे सफेद पट्टी नहीं। रात में पराली से भरी ट्रालियां बिना रिफ्लेक्टर दौड़ती दिखीं।
    • कैथल: ड्रेन पुल की टूटी रेलिंग, तालाबों की दीवार खस्ताहाल। अंडरपास और बाईपास पर चेतावनी बोर्ड नहीं लगे। रोहतक: सांपला-महम क्षेत्र में खतरनाक मोड़, संकेतक ढके। सफेद पट्टियां नहीं दिखतीं।
    • चरखी दादरी: लोहारू नहर ओवरब्रिज के पास गड्ढे। आरओबी और बाइपास पर जोखिम लगातार बना रहता है।
    • कुरुक्षेत्र: करीब दस प्वाइंट ऐसे जहां धुंध में कोई बंदोबस्त नहीं, दिशा भ्रम से वाहन फिसलने का खतरा रहता है।
    • सिरसा: पहले भी वाहन नहर में गिरे, फिर भी सुधार नहीं हुआ। उत्तरी घग्गर कैनाल गेट प्वाइंट पर जोखिम स्थायी है।
    • भिवानी: नेशनल व स्टेट हाईवे पर झाड़ियां सड़क तक फैलीं। गांवों के जोहड़ बिल्कुल किनारे। छोटी दीवारें गंदगी में छिपी, धुंध में पहचान मुश्किल।
    •  पानीपत: खस्ताहाल ब्रेकर, गायब पट्टियां और बिना रंग-पेंट डिवाइडर। बाईपास और प्रमुख मार्गों पर ब्लैक स्पाट बिना सुरक्षा, धुंध में संतुलन बिगड़ने का खतरा।