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    21 दिन में 10 हजार से ज्यादा संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, हरियाणा में पेपरलेस रजिस्ट्री ने पकड़ी रफ्तार

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 12:27 PM (IST)

    हरियाणा में पेपरलेस रजिस्ट्री की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। पिछले 21 दिनों में 10 हजार से अधिक संपत्तियों का पंजीकरण किया गया है। यह दर्शाता है कि राज्य में पेपरलेस रजिस्ट्री को लोगों ने स्वीकार कर लिया है और यह प्रणाली लोकप्रिय हो रही है।

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    सीएम नायब सैनी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा में जमीन की पेपरलेस रजिस्ट्री शुरू होने के बाद 21 दिन में 10 हजार 450 संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। डिजिटल लैंड-रजिस्ट्री सिस्टम ने एक दिन में रजिस्ट्री का नया रिकार्ड बनाया, जिसमें बिना कागज के 1659 रजिस्ट्रेशन प्रोसेस किए गए। वहीं, डीड राइटर्स एसोसिएशन ने तहसीलों को फेसलेस करने की मांग करते हुए पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम में सुधारों के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाने का सुझाव दिया है।

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    वित्तायुक्त राजस्व डा. सुमिता मिश्रा ने बताया कि एक से 21 नवंबर के बीच लोगों ने प्रापर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए आनलाइन 9365 अपाइंटमेंट बुक किए। इस प्रकार कुल 10 हजार 450 अपाइंटमेंट हो गए। इनमें से पिछले तीन सप्ताह के दौरान 8338 डीड अप्रूव हुए। कुल 9260 डीड अप्रूव हो गए हैं। सिस्टम हर दिन लगभग 1500 डीड प्रोसेस कर रहा है। पोर्टल पर आफिसर-साइड फीचर्स को भी अपग्रेड किया गया है। खेवट और विलेज ब्लाकिंग चालू कर दी गई है।

    वित्तायुक्त ने बताया कि सिस्टम में अब आरसी और सब-रजिस्ट्रार के दोनों डैशबोर्ड पर डीड वेरिफिकेशन सही ढंग से दर्शाता है। तहसीलदार अपने लागिन से सीधे टोकन वापस कर सकते हैं। स्टांप ड्यूटी कैलकुलेशन, टोकन डिडक्शन और डाक्यूमेंट को प्रभावित करने वाली कई दिक्कतें पहले ही हल कर दी गई हैं। गलत टोकन के मामलों में जब तक टोकन पूरी तरह से वैलिडेट नहीं हो जाएगा, तब तक सिस्टम में 503 रुपये नहीं कटेंगे।

    वहीं, डीड राइटर वेलफेयर एसोसिएशन की अलग से बैठक हुई, जिसमें पेपरलेस रजिस्ट्री व्यवस्था की खामियों और सुधारों पर चर्चा हुई। एसोसिएशन प्रधान प्रदीप शर्मा ने पेपरलेस रजिस्ट्री का स्वागत करते हुए आरोप लगाया कि इसकी लांचिंग जल्दबाजी में की गई है। अधूरी तैयारियों की वजह से इसमें खामियां ही ज्यादा नजर आ रही हैं।

    सिटिजन सेलर की आइडी से दस्तावेज अपलोड होना उसकी सहमति माना जा रहा है, जबकि असल में तहसील/सब-तहसील में काम करने वाले टाइपिस्ट अपनी आइडी से दस्तावेज अपलोड कर रहे हैं।

    टाइपिस्ट को प्रतिदिन पांच दस्तावेज अपलोड करने की अनुमति है, जिससे महीने में लगभग 100 अवैध दस्तावेज अपलोड हो सकते हैं। अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार खत्म करना चाहती है तो तहसील कार्यालयों को पासपोर्ट आफिस की तरह पेपरलैस और फेसलेस बनाया जाए।

    इन सुधारों की वकालत

    डीड राइटर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान प्रदीप शर्मा ने कहा कि नियमानुसार कंप्यूटर आपरेटर का ट्रांसफर तीन माह में अनिवार्य रूप से किया जाए। कई कंप्यूटर आपरेटर वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं। पुराने इंतकाल के लिए अलग पोर्टल बनाया जाए क्योंकि कई लोग 10-20 साल पुरानी प्रापर्टी का इंतकाल नहीं करा पा रहे।

    जमाबंदी में गलती सुधारने और मामूली नाम संशोधन का अधिकार पंजीकृत डीड राइटर को मिले। जमाबंदी को स्कैन करवाने की बाध्यता खत्म की जाए। दस्तावेजों की फिजिकल कापी क्यों मांगी जा रही है।दस्तावेजों पर नंबर भी हाथ से लिखे जा रहे हैं, जिसे साफ्टवेयर द्वारा जनरेट होना चाहिए। वसीका लेखन फीस बढ़ाई जाए। लाइसेंस पांच वर्ष के लिए नवीनीकरण हो।