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    Haryana politics: मां ने किया था राजस्थान को पानी देने का विरोध, अब बेटी सिरे चढ़ाएगी परियोजना, जानिए किस नेता से जुड़ा है दिलचस्प मामला

    Updated: Sun, 01 Dec 2024 10:35 PM (IST)

    हरियाणा सरकार राजस्थान को हथनीकुंड बैराज से पानी की आपूर्ति करेगी। इस संबंध में दोनों राज्यों के बीच पूर्व में समझौता हो चुका है। केंद्र सरकार भी इस समझौते से सहमत है। राजस्थान के चुरू सीकर व झुंझनू तक यह पानी पहुंचाया जाएगा। केंद्रीय राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने सांसद अमरा राम के सवाल का जवाब देते हुए दोनों राज्यों की जलापूर्ति योजना के पहलुओं की जानकारी साझा की।

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    पाइप लाइन से राजस्थान को मिलेगा हरियाणा का पानी।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस के प्रबल विरोध के बावजूद हरियाणा सरकार हथनीकुंड बैराज से राजस्थान को पानी की आपूर्ति करेगी। इस संबंध में दोनों राज्यों के बीच पूर्व में समझौता हो चुका है। केंद्र सरकार भी इस समझौते से सहमत है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी कि हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्य सरकारों को पानी की आपूर्ति के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने को कह दिया गया है।

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    हथनीकुंड बैराज से यह पानी राजस्थान में पाइपों के माध्यम से ले जाने की योजना है। राजस्थान के चुरू, सीकर व झुंझनू तक यह पानी पहुंचाया जाएगा। हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। दोनों राज्यों के बीच यह समझौता पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में हुआ था। राजस्थान के सीकर से सांसद चुने गये माकपा नेता अमरा राम चौधरी ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया। अमरा राम छह बार चुनाव हारने के बाद सातवीं बार पहली दफा माकपा के टिकट पर सांसद बने हैं।

    अमरा राम ने जल बंटवारे को लेकर उठाया सवाल

    केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने सांसद अमरा राम के सवाल का जवाब देते हुए दोनों राज्यों की जलापूर्ति योजना के विभिन्न पहलुओं की जानकारी साझा की। अमरा राम ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर सवाल उठाया था।

    रोचक पहलू यह है कि कांग्रेस में रहते हुए तोशाम की तत्कालीन कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने दोनों राज्यों के बीच हुए एमओयू का विरोध किया था। उन्होंने यमुना का पानी दक्षिण हरियाणा तक पहुंचाने की मांग की थी। लोकसभा चुनाव के बाद किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं।

    अब किरण चौधरी भाजपा की राज्यसभा सदस्य हैं और उनकी बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से भाजपा की विधायक होने के साथ-साथ मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि मां किरण चौधरी ने कांग्रेस में रहते हुए जिस परियोजना का विरोध किया था, अब उसे सिरे चढ़ाने की जिम्मेदारी भाजपा सरकार की मंत्री बेटी श्रुति चौधरी के हाथों में आ गई है।

    यमुना के पानी का बंटवारा इन राज्यों में

    केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार राजस्थान को बारिश के दिनों में तभी पानी की आपूर्ति होगी, जब हरियाणा अपने हिस्से और जरूरत के हिसाब के पानी का इस्तेमाल कर लेगा। यमुना नदी के जल का वार्षिक बंटवारा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश व नई दिल्ली के बीच हो रखा है।

    पिछले साल कुल 11.983 बीसीएम यानी बिलियन क्यूबिक मीटर पानी इन राज्यों को मिला। इनमें सबसे अधिक 5.730 बीसीएम पानी हरियाणा के हिस्से में आया।उत्तर प्रदेश को 4.032, राजस्थान को 1.119, हिमाचल प्रदेश को 0.378 तथा नई दिल्ली को 0.724 बीसीएम पानी मिला।

    केंद्रीय राज्य मंत्री ने वार्षिक जल आवंटन के साथ-साथ जुलाई से अक्टूबर, नवंबर से फरवरी तथा मार्च से जून यानी तिमाही के हिसाब से हुए जल वितरण का डाटा भी संसद में पेश किया। बेसिन राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और नई दिल्ली में यमुना नदी के ओखला तक सतही प्रवाह के आवंटन को लेकर 12 मई 1994 को एमओयू हुआ था।

    बाद में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बन गया। ऐसे में 16 मार्च 2001 के नोटिफिकेशन के जरिये बोर्ड ने उत्तराखंड को भी बेसिन राज्यों में शामिल किया। इसके बाद से ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश द्वारा यमुना नदी और इसकी सहायक नदियों पर अपने छोटी सरंचनाओं का इस्तेमाल करके पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और नई दिल्ली के लिए यमुना का पानी हथनीकुंड बैराज, वजीराबाद और ओखला बैराज से निकाला जाता है।

    पहले दिल्ली को मिलता है पानी

    केंद्रीय राज्य मंत्री के अनुसार समझौते के तहत सबसे पहले दिल्ली के पानी की आपूर्ति पूरी की जा जाती है। इसके बाद शेष जल हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान को मिलता है।

    हालांकि जलापूर्ति प्रणाली की सीमित क्षमता होने की वजह से उत्तर प्रदेश और राजस्थान जल के अपने पूर्ण आवंटित हिस्से का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। इसीलिए राजस्थान ने हरियाणा के साथ एमओयू किया ताकि पाइप लाइन के जरिये अपने हिस्से का पानी हासिल किया जा सके।

    केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाले रेणुकाजी, लखवाड़ और किशाऊ डैम के बाद हरियाणा में पानी की उपलब्धता और भी बढ़ेगी।

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