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    हरियाणा: एक साल बाद ही JJP की दमदार वापसी, दुष्यंत चौटाला ने हर सवाल का दिया जवाब; BJP के साथ गठबंधन पर क्या बोले?

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 04:16 PM (IST)

    हरियाणा में जजपा ने आठवें स्थापना दिवस पर रैली करके दमदार वापसी की है। पिछले चुनाव में हार के बाद विरोधियों ने जजपा को कमजोर मान लिया था। दुष्यंत चौटा ...और पढ़ें

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    जींद के जुलाना में जजपा की दमदार रैली। फोटो जजपा एक्स

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार में करीब साढ़े चार साल तक साझीदार रही जननायक जनता पार्टी ने अपने आठवें स्थापना दिवस पर दमदार रैली कर जोरदार वापसी की है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जजपा का कोई उम्मीदवार चुनाव जीतकर नहीं आया था।

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    भाजपा, कांग्रेस और इनेलो समेत समस्त राजनीतिक विरोधियों ने तब जजपा को हरियाणा के सियासी परिदृश्य से बाहर मान लिया था, लेकिन जजपा अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला, पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई जजपा यूथ विंग के अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने जींद के जुलाना में जिस तरह उत्साहित कार्यकर्ताओं की मजबूत रैली की, उससे प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में जजपा का पुनर्जन्म हुआ माना जा रहा है।

    साल 2018 में इनेलो से अलग होने के बाद जजपा ने जींद के पांडु पिंडारा में अपनी पहली रैली की थी। उसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जजपा के 10 विधायक जीतकर आए, तब अजय सिंह चौटाला, दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला ने भाजपा के साथ सरकार में गठबंधन करने का निर्णय लिया।

    इस गठबंधन का दुष्यंत के विरोधियों ने यह कहते हुए खुला विरोध किया कि उनकी पार्टी को भाजपा के विरोध में मत दिए गए थे, लेकिन वे भाजपा के साथ ही जाकर मिल गए।

    तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध हुए आंदोलन के दौरान भी दुष्यंत चौटाला द्वारा भाजपा सरकार का डिप्टी सीएम का पद नहीं छोड़ने पर उनकी काफी मुखालफत की गई थी, लेकिन जुलाना रैली में दुष्यंत चौटाला ने हर उस सवाल का तथ्यों के साथ जवाब दिया, जिसका सामना वह पिछले कई सालों से करते चले आ रहे थे।

    दुष्यंत चौटाला ने जुलाना रैली में साफ कहा कि यदि वे भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करते तो उनके विधायक टूटकर चले जाते। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए अहमद पटेल का उनके पास फोन आया था, लेकिन तब कांग्रेस के पास सरकार बनाने के लिए विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं थी।

    इन मुद्दों पर दुष्यंत चौटाला ने मांगी माफी

    ऐसे में भाजपा के साथ जजपा का गठबंधन मजबूरी का था। तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध इस्तीफा नहीं देने का कारण भी दुष्यंत ने जुलाना रैली में स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र में हमारा कोई सांसद नहीं था और राज्य की भाजपा सरकार निर्दलीय विधायकों के दम पर चल रही थी।

    यदि वे भाजपा से समर्थन वापस भी ले लेते तो उस स्थिति में भी हरियाणा या केंद्र की भाजपा सरकारों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता और यह सरकारें चलती रहती। हालांकि दुष्यंत ने इन दोनों मुद्दों पर जनभावनाओं का सम्मान करते हुए माफी भी मांगी।

    भाजपा से समर्थन वापस नहीं लेने का खामियाजा साल 2024 के विधानसभा चुनाव में जजपा को उठाना पड़ा है। इस चुनाव में जजपा को एक भी सीट नहीं मिली। इनेलो जरूर अपने दो विधायक जिताने में कामयाब हो गई। इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में धड़ाधड़ ज्वाइनिंग भी हो रही हैं।

    कुछ जजपा नेता आने वाले समय में इनेलो में शामिल होने की सोच रहे थे, लेकिन जुलाना में जजपा की रैली के मंच पर बैठे करीब ढ़ाई सौ नेताओं ने जब पार्टी के कार्यकर्ताओं का साल 2018 वाल जोश और उत्साह देखा तो उन्हें लगा कि पार्टी अब वापसी कर रही है और जजपा के बारे में उनकी जो धारणा बन रही थी, वह गलत थी।

    ऐसे में फिलहाल जजपा को किसी तरह का राजनीतिक नुकसान होगा, इसकी संभावना बिल्कुल नजर नहीं आ रही है।

    नये सिरे से राजनीतिक सफर तय करने की तैयारी

    हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला व उनके भाई दिग्विजय चौटाला ने जुलाना रैली में दमखम दिखाकर भाजपा व कांग्रेस खासकर भूपेंद्र हुड्डा दोनों को निशाने पर रखा। वे खुली थार जीप में रैली के मंच तक पहंचे, जिसे एक महिला चला रही थी।

    महिला सशक्तीकरण, कानून व्यवस्था की स्थिति, नौकरियों में कथित भेदभाव, किसानों को मुआवजा नहीं मिलने, बीपीएल कार्ड काटने, पेंशन में बढ़ोतरी नहीं होने तथा खेलों में ढांचागत सुधार नहीं होने के मुद्दे रैली में उठाकर दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर भी हमला बोला है।

    इस रैली में भीड़ जुटाकर जजपा अपने कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने में काफी हद तक कामयाब रही कि पिछले साल की हार से हतोत्साहित होने की बजाय नये सिरे से राजनीतिक सफर को उड़ान देना ही भविष्य के लिए सुखद है।