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    Haryana Politics: सैलजा के लिए बीरेंद्र सिंह ने बनाया माहौल, भूपेंद्र हुड्डा ने फेर दिया पानी; पूर्व CM बोले- ना टायर्ड और ना ही रिटायर्ड

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 07:02 PM (IST)

    हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में घमासान जारी है। बीरेंद्र सिंह ने हुड्डा को संन्यास लेने की सलाह दी जिसे हुड्डा ने खारिज कर दिया। हुड्डा ने कहा कि वे न थके हैं न रिटायर होंगे। इससे कांग्रेस में खेमेबंदी बढ़ने की आशंका है। सैलजा बीरेंद्र सिंह और कुलदीप शर्मा की सक्रियता से गुटबाजी कम होने के आसार नहीं हैं। हुड्डा ने स्पष्ट किया कि वे राजनीति में सक्रिय रहेंगे।

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    Haryana Politics: सैलजा के लिए बीरेंद्र सिंह ने बनाया माहौल।

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में हर रोज नये समीकरण बन रहे हैं। पिछले सप्ताह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने स्वयं को उम्रदराज बताते हुए जहां कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस का भविष्य का नेता करार दिया था, वहीं अपने छोटे भाई पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम लेते हुए उन्हें भी राजनीति से रिटायर होने की सलाह दे डाली थी।

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    बीरेंद्र सिंह की इस सलाह को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सिरे से खारिज कर दिया है। हुड्डा ने कहा कि यह बात सही है कि बीरेंद्र सिंह मेरे बड़े भाई हैं और उनकी उम्र हो चुकी है, लेकिन मैं न तो टायर्ड (थका) हूं और न ही रिटायर्ड (राजनीति से संन्यास) ले रहा हूं। हुड्डा के इस जवाब से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस में उनकी दावेदारी के सामने किसी दूसरे की दावेदारी टिकने वाली नहीं है।

    पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा अपने बड़े भाई बीरेंद्र सिंह को दिए गए इस जवाब से हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में खेमेबंदी बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। राज्य में कांग्रेस पहले ही कई धड़ों में बंटी थी। कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी के भाजपा में जाने और बीरेंद्र सिंह के भाजपा से वापस कांग्रेस में आने के बाद प्रदेश कांग्रेस की राजनीति ने नई दिशा ली थी।

    लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टिकटों के वितरण से लेकर उम्मीदवारों की हार-जीत में कांग्रेस नेताओं में जबरदस्त गुटबाजी देखने को मिली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों के बाद यह गुटबाजी पूरी तरह से खत्म होने की संभावना जताई थी, लेकिन जिस तरह से कुमारी सैलजा, बीरेंद्र सिंह और कुलदीप शर्मा ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी तथा भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र हुड्डा अलग तरीके से सक्रिय हो गए, उससे साफ नजर आ रहा है कि यह गुटबाजी कम नहीं होने वाली है।

    कभी हुड्डा के बहुत करीबी पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा आजकल उनसे नाराज बताए जाते हैं। पिछले दिनों उन्हें कुमारी सैलजा के साथ देखा गया था। तीन दिन पहले एक कार्यक्रम में कुमारी सैलजा, बीरेंद्र सिंह, कुलदीप शर्मा और बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह एक साथ मंच पर दिखाई दिए। इसी मंच पर बीरेंद्र सिंह ने कुमारी सैलजा को भविष्य का नेता बताते हुए उनके लिए माहौल तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि मेरी अब उम्र हो गई है। कुलदीप शर्मा की उम्र भी साल-डेढ़ साल में हो जाएगी।

    कुमारी सैलजा की उम्र बता रही है कि वे आगे 15 साल तक राजनीति करने वाली हैं। मेरे छोटे भाई भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उम्र मुझसे साल डेढ़ साल छोटी होगी। ऐसे में अब हमें दूसरी पीढ़ी को आगे करते हुए सैलजा को बागडोर सौंपनी होगी। बाक्स बीरेंद्र सिंह और भूपेंद्र हुड्डा के बयानों के गंभीर मतलब बीरेंद्र सिंह के इस बयान के सामान्य मतलब बिल्कुल भी नहीं हैं।

    लोकसभा चुनाव में जिस तरह से हिसार से उनके बेटे बृजेंद्र सिंह की टिकट कटी और उचाना के विधानसभा चुनाव में बृजेंद्र सिंह की मात्र 32 मतों से हार हुई तो ऐसे में वे कुमारी सैलजा को आगे बढ़ाना चाहते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चूंकि राजनीति का माहिर नेता माना जाता है। इसलिए उन्होंने बीरेंद्र सिंह को जवाब देने में बिल्कुल भी देरी नहीं लगाई। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को अपने नाम पर विपक्ष के नेता के लिए लगभग तैयार कर चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि वे न तो टायर्ड हुए और न ही रिटायर्ड हुए।

    अगर बीरेंद्र सिंह को लगता है कि वे रिटायर हो गए हैं तो अच्छी बात है। इस बात को वे स्वयं मान भी चुके हैं, लेकिन मैं राजनीति में सक्रिय हूं और लोगों की आवाज उठाता रहूंगा। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला को हुड्डा व सैलजा दोनों खेमों की राजनीति करते हुए देखा जा सकता है, जबकि कैप्टन अजय यादव स्वयं प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में लगे हैं।