हरियाणा में दो आत्महत्याओं ने उजागर किया जातिगत उत्पीड़न और भ्रष्टाचार का काला सच, CBI जांच की तलवार लटकी
हरियाणा में आईपीएस वाई पूरन कुमार और एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्याओं ने पुलिस और प्रशासन के बीच अविश्वास को गहरा कर दिया है। एक अधिकारी ने जातिगत उत्पीड़न का आरोप लगाया, तो दूसरे ने भ्रष्टाचार का। सरकार के सामने सच्चाई लाने की चुनौती है, और सीबीआई जांच की संभावना है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
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हरियाणा में पिछले 9 दिनों में दो अफसर सुसाइड कर चुके हैं (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के आइपीएस वाई पूरन कुमार और एएसआइ संदीप लाठर की आत्महत्याओं ने जहां व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए, वहीं राज्य के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच अविश्वास की खाई को गहरा दिया है।
वाई पूरन कुमार ने मरने से पहले आठ पेज के फाइनल नोट में जातिगत उत्पीड़न के आरोप लगाए तो संदीप लाठर ने पांच पेज के फाइनल नोट में वाई पूरन कुमार को ही भ्रष्ट ठहरा दिया। वाई पूरन कुमार और संदीप लाठर में कौन सच्चा है और कौन नहीं, इसका फैसला तो जांच के बाद होगा, लेकिन जिस तरह पुलिस के दो अधिकारियों ने सिस्टम से निराश होकर आत्महत्या कर ली, उससे सरकार, समाज और व्यवस्था में गलत संदेश ही गया है। अब सरकार के सामने सच्चाई सामने लाने की बड़ी चुनौती है।
एडीजीपी वाई पूरन कुमार का नौ दिन के लंबे अंतराल के बाद अंतिम संस्कार हुआ है, मगर एएसआइ संदीप लाठर के परिवार वाले पूरन कुमार की आइएएस पत्नी अमनीत पी कुमार के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की जिद पर अड़े हुए हैं। दो दिन हो गए, अभी तक परिजन संदीप लाठर के शव का पोस्टमार्टम कराने को तैयार नहीं हुए हैं।
वाई पूरन कुमार के फाइनल नोट के आधार पर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया समेत 15 अधिकारियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की गई थी, लेकिन मुख्य निशाने पर शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजराणिया ही रहे। संदीप लाठर ने इन दोनों अधिकारियों को झूठा फंसाने का आरोप लगाते हुए सच्चाई का साथ देने की बात कहते हुए आत्महत्या की है।
चंडीगढ़ पुलिस ने वाई पूरन कुमार की आत्महत्या की जांच के लिए आइजी पुष्पेंद्र सिंह के नेतृत्व में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जबकि संदीप लाठर के आत्महत्या मामले में जांच के लिए एसआइटी के गठन की प्रक्रिया जारी बताई जाती है।
दोनों आत्महत्याओं के जांच केंद्र अलग-अलग हैं, लेकिन मामला एक ही है। इसलिए सरकार पूरे मामले की सच्चाई तक पहुंचने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को भी दोनों केस की जांच सौंप सकती है।
राज्य में अफसरशाही के बीच पहले से टकराव चला आ रहा है। शत्रुजीत कपूर ने एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक रहते कई भ्रष्ट अधिकारियों को निशाने पर लिया था। इसलिए कई अफसर उनके विरुद्ध थे।
कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें उनकी कार्यप्रणाली पसंद आती रही है। कुछ आइपीएस वाई पूरन कुमार के प्रति सहानुभूति जता रहे हैं तो कुछ आइएएस उनकी पत्नी अमनीत पी कुमार के साथ खड़े हैं। कई आइएएस व आइपीएस ऐसे हैं, जो शत्रुजीत कपूर के साथ हैं, लेकिन सिस्टम की मजबूरियां उनकी लक्ष्मण रेखा बनी हुई हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकार के पास एक जांच अप्रूवल के लिए गई हुई थी, लेकिन उसकी मंजूरी नहीं मिली थी। इस फाइल के भी अब खुलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वाई पूरन कुमार की मौत के बाद हरियाणा से लेकर दिल्ली तक कई नेता शोक जताने चंडीगढ़ पहुंचे। अब संदीप लाठर ने जान दी है तो वही नेता उनके शोक में शामिल होने को लेकर असमंजस में हैं।
कुछ नेता शोक जताने आ रहे हैं तो कुछ के कदम अभी ठिठके हुए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किसके साथ खड़े हों और किसके खिलाफ जाएं। जाने वाले चले गए, लेकिन वोट की राजनीति वाले बेचैन हैं। अब वाई पूरन कुमार के अंतिम संस्कार के बाद सरकार ने थोड़ी राहत की सांस ली है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी 17 अक्टूबर को पंचकूला में अपनी सरकार के एक साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। योजना पहले सोनीपत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रिपोर्ट कार्ड सौंपने की थी, लेकिन आत्महत्या की दो घटनाओं ने पूरे राज्य का पूरा माहौल बदलकर रख दिया।
हरियाणा के एडीजीपी वाई पूरन कुमार और एएसआइ संदीप लाठर की आत्महत्या जैसे संवेदनशील मामलों में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई की है। पूरन कुमार प्रकरण में मुख्यमंत्री ने तत्परता दिखाते हुए दोनों के परिवारों से मुलाकात की, मामले की गहराई से जांच के निर्देश दिए और हरियाणा के डीजीपी को छुट्टी पर भेज दिया तथा रोहतक के एसपी को हटा दिया।
साथ ही शोक संतप्त परिवार को हरसंभव सहायता और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। इसी तरह, संदीप लाठर के आत्महत्या मामले में भी मुख्यमंत्री ने तुरंत उनके परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की और न्याय सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने इन दोनों मामलों में बिना किसी राजनीतिक दिखावे या बयानबाजी के गंभीरता और संवेदनशीलता दिखाई है।
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