हरियाणा पुलिस ने पंजाब के किसानों को दिल्ली कूच से रोका, ढाई घंटे चला संघर्ष; अब कल के लिए तैयारी शुरू
किसानों ने केंद्र से वार्ता के लिए एक दिन दिल्ली कूच टाल दिया है।उनका अगला जत्था रविवार को दिल्ली जाएगा।हरियाणा के किसान संगठनों ने आंदोलन से दूरी बनाए रखी।शंभू बॉर्डर पर 298 दिन से धरना दे रहे पंजाब के किसान शुक्रवार को दिल्ली कूच के लिए आगे नहीं बढ़ सके उन्होंने दो बैरिकेड तोड़ दिए लेकिन हरियाणा पुलिस और अर्ध सैनिक बल के जवानों के आगे उनकी एक नहीं चली।

जागरण टीम, चंडीगढ़। शंभू बार्डर पर 298 दिन से धरना दे रहे पंजाब के किसान शुक्रवार को दिल्ली कूच के लिए आगे नहीं बढ़ सके। उन्होंने दो बैरिकेड तोड़ दिए, लेकिन हरियाणा पुलिस और अर्ध सैनिक बल के जवानों के आगे उनकी एक नहीं चली। करीब ढाई घंटे के संघर्ष के दौरान उग्र किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने पेपर स्प्रे किया और आंसू गैस के गोले दागे, जिससे 16 किसान घायल हो गए।
11 गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद
फिलहाल, किसानों ने केंद्र से वार्ता के लिए एक दिन दिल्ली कूच टाल दिया है। उनका अगला जत्था रविवार को दिल्ली जाएगा। हरियाणा के किसान संगठनों ने आंदोलन से दूरी बनाए रखी। उधर, दिल्ली पुलिस ने हरियाणा से सटे टीकरी व सिंधू बार्डर पर सतर्कता बढ़ा दी है। किसान संगठनों की घोषणा को देखते हुए अंबाला पुलिस-प्रशासन ने पूरे प्रबंध किए थे। दोपहर 12 बजे से ही शंभू बॉर्डर के साथ लगते 11 गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।
एक बजे 101 किसानों का मरजीवड़ा (इसमें शामिल लोग मरने के लिए तैयार होते हैं) जत्था पैदल हरियाणा सीमा की ओर बढ़ा। बैरिकेड्स और जमीन पर बिछाई कीलों को उखाड़कर पुल से नीचे फेंक दिया। 200 मीटर दूर कंकरीट की दीवार के पास तक किसान पहुंच गए और वहां लगी जाली को उखाड़ने लगे। एक किसान कंकरीट की दीवार पर बनाई छत पर चढ़ गया।
भाकियू बहरामके के प्रदेश युवा प्रधान हरप्रीत सिंह की हालत गंभीर
किसान दिल्ली जाने पर अड़े थे, जबकि हरियाणा पुलिस का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है। किसानों के पास दिल्ली जाने के लिए अनुमति नहीं है, इसलिए वे आगे नहीं जा सकते। उग्र हो रहे किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए और मिर्ची स्प्रे किया गया। इस दौरान घायल हुए भाकियू बहरामके के प्रदेश युवा प्रधान हरप्रीत सिंह की हालत गंभीर है।
उन्हें पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में रेफर किया गया है। इस बीच किसान नेता सरवन सिंह पंधेर दो साथियों के साथ बैरिकेड के पास जाकर पुलिस अधिकारियों से बात की। इसके बाद करीब साढ़े तीन बजे किसानों का जत्था लौट गया। पंधेर ने बताया कि हरियाणा के अधिकारियों ने मांगपत्र लेकर केंद्र से वार्ता कराने की बात कही। इसलिए एक दिन के लिए दिल्ली कूच टाल दिया गया है।
शनिवार का दिन केंद्र सरकार से बातचीत के लिए रखा गया है। अगर शनिवार को केंद्र वार्ता करेगा तो ठीक है नहीं तो आठ दिसंबर को दोपहर 12 बजे फिर 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करेगा।
उन्होंने कहा कि शनिवार से पंजाब भर में किसान भाजपा नेताओं को काली झंडियां दिखाएंगे। उधर, खनौरी बार्डर पर किसान नेता जगजीत ¨सह डल्लेवाल का मरणव्रत 11वें दिन भी जारी रहा।
पांच किमी तक ट्रैक्टर ट्रालियों का जमावड़ा
पंजाब में शंभू बार्डर के पास किसानों का अच्छा खासा जमावड़ा शुक्रवार को रहा। करीब पांच किलोमीटर (किमी) तक टेंट, ट्रैक्टर ट्रालियां, ट्रकों की लाइनें दिखाई दीं। किसानों ने यहां पर खाने पीने का प्रबंध कर रखा था जबकि ट्रैक्टर ट्रालियों और ट्रकों को भी टेंट का रूप दिया गया। कई वाहनों में लंगर पकाया जा रहा था। यहां पर किसानों ने लंगर भी खाया। पांच किमी तक किसानों का ही जमावड़ा रहा। बिजली की आपूर्ति के लिए सोलर पैनल भी लगाया गया।
जींद में दातासिंहवाला सीमा पर रही तनाव की स्थिति
जींद के दातासिंहवाला बार्डर पर दिन भर तनाव की स्थिति रही। सिरसा के डबवाली सीमा पर स्वास्थ्य विभाग की चार एंबुलेंस और पांच दमकल को मुख्य नाकों पर तैनात किया गया था। कुरुक्षेत्र के ट्यूकर बार्डर पर पुलिस और केंद्रीय बल की टुकडि़यां तैनात रहीं। बहादुरगढ़ से सटे टीकरी बार्डर पर दिल्ली पुलिस की ओर से कंटेनर, बैरिकेड, मिट्टी की बोरियां सब जुटा ली गई। ओवरहेड के ऊपर लाउड स्पीकर लगा दिए गए। जरूरत पड़ने पर टीकरी बार्डर को तुरंत सील करने की तैयारी थी।
सोनीपत के 20 गांवों ने कहा, किसानों को जीटी रोड पर नहीं लगाने देंगे टेंट
सोनीपत जिले के 20 गांवों के सरपंचों ने कहा है कि आंदोलनकारी किसानों को इस बार कुंडली और आसपास के गांवों से कोई सहयोग नहीं मिलेगा। उन्हें यहां टैंट नहीं लगाने देंगे और वापस लौटने का आग्रह करेंगे। पिछली बार किसानों के यहां डेरा डालने से 500 से ज्यादा दुकानदारों का काम ठप हो गया और 100 से ज्यादा उद्योग पलायन कर गए। 50 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान इंडस्ट्री को झेलना पड़ा।
केंद्र मात्र एक-दो किसान संगठनों से बात करने के मूड में नहीं
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, किसान संगठनों की केंद्र सरकार से वार्ता कराने के लिए पंजाब के अधिकारी दो दिन से प्रयास कर रहे हैं। शुक्रवार को भी प्रयास किया कि पीएमओ, गृह विभाग व कृषि मंत्रालय से बातचीत के लिए कोई सहमति बन जाए लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के मंत्री एक-दो संगठनों की बजाय पूरे किसान समुदाय से बात करना चाहते हैं। इसलिए सहमति नहीं बन रही।
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