साइबर अपराधियों व नशे के कारोबारियों के खिलाफ हरियाणा पुलिस सक्रिय , ठगी हुए पैसे भी वापस दिला रही
Cyber Crime in Haryana हरियाणा में बढ़ते साइबर अपराध और नशे के काले कारोबार के खिलाफ पुलिस सक्रिय हो गई है। हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों व नशे के कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए अभियान तेज कर दिया है। वह ठगे गए पैसे भी लोगों को दिला रही है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Cyber Crime in Haryana: हरियाणा सरकार ने साइबर ठगों व नशे के कारोबार में लगे लोगों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। पुलिस ने इस साल के पहले छह माह में साइबर ठगी का शिकार हुए लगभग एक हजार पीड़ित लोगों के खातों में सात करोड़ रुपये की राशि वापस कराई है। दूसरी तरफ, मुख्य सचिव संजीव कौशल ने नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) की राज्य स्तरीय समिति की दूसरी बैठक में नशा मुक्ति अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस ने साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों के खातों में वापस दिलाए सात करोड़, हेल्पलाइन नंबर जारी
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में साइबर क्राइम की समीक्षा बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (साइबर अपराध) ओपी सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम का शिकार लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक साइबर डेस्क और प्रत्येक जिले और रेंज मुख्यालयों में एक साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित किया जा रहा है। वर्तमान में 309 साइबर डेस्क और 29 पुलिस थानों में 1000 से अधिक पुलिस जवान साइबर अपराधियों से निपटने के लिए तैनात किए गए हैं।
साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं
गृह मंत्री को जानकारी दी गई कि पुलिस ने साइबर क्राइम के वर्ष 2019 में 366, वर्ष 2020 में 676, वर्ष 2021 में 670 और वर्ष 2022 के पहले छह महीने में 1010 मामले दर्ज किए हैं। विज ने बताया कि सरकार ‘साइबर सेफ इंडिया’ नामक एक व्यापक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम पर काम कर रही है।
मादक पदार्थों की बिक्री व इस्तेमाल रोकने के लिए गांव व वार्ड स्तर पर कमेटियां
मुख्य सचिव द्वारा ली गई बैठक में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) पंचकूला श्रीकांत जाधव ने बताया कि राज्य कार्य योजना के अनुरूप मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए गांव–वार्ड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक मिशन टीमें तैयार की जा चुकी हैं। इन टीमों का मुख्य उद्देश्य नशे के आदी लोगों का पता लगाना, मोबाइल एप्लीकेशन में उनका डाटा दर्ज करना, ऐसे लोगों की काउंसलिंग करना व उनके पुनर्वास हेतु विभिन्न प्रयास करना और जागरूकता फैलाना है।
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