हरियाणा में आएगा गंगा का पानी, बुझेगी दिल्ली की भी प्यास; एसवाईएल विवाद के बीच नायब सरकार की नई पहल
हरियाणा सरकार गंगा नदी के पानी को उत्तर प्रदेश से लाने की योजना बना रही है ताकि राज्य में पीने के पानी की समस्या को दूर किया जा सके। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिंचाई विभाग को इस दिशा में काम करने के आदेश दिए हैं। एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है जो उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ विकल्पों पर विचार करेगी।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के बाद भी हरियाणा को अभी तक पंजाब की ओर से एसवाईएल नहर का पानी नहीं मिल पाया। लेकिन अपने राज्य की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए हरियाणा सरकार ने गंगा के पानी से जनता की प्यास बुझाने का निर्णय लिया है। करीब ढाई साल पहले केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने गंगा का पानी हरियाणा लाने के प्रयास शुरू किए थे।
अब उन प्रयासों को गंभीरता से आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को गंगा का पानी उत्तर प्रदेश से हरियाणा लाने के सभी विकल्पों पर काम करने के आदेश दिए हैं। सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी के निर्देशों के बाद इंजीनियर इन चीफ वीरेंद्र सिंह ने चीफ इंजीनियर के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है, जो उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ गंगा का पानी हरियाणा लाने के सभी विकल्पों तथा चैनलों पर बातचीत करेगी।
मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर लाल की सोच गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने की थी। नवंबर 2022 में विभागीय अधिकारियों की बैठक लेते हुए मनोहर लाल ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर गंगा का पानी हरियाणा में लाने में सहयोग मांगा था। उसके बाद सरकार चुनाव में उलझ गई। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि पहले गंगा का पानी हरियाणा में लाने की समस्त संभावनाओं, विकल्पों और तरीकों पर विचार किया जाए।
गंगा का पानी यहां पहुंचाने के चैनल और रास्ते कौन-कौन से हो सकते हैं, इस बारे में पूरी रिपोर्ट तैयार की जाए। उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने हरियाणा को फिलहाल पांच विकल्प सुझाए हैं। इनमें खतौली के पास हिंडन बैरियर, बदरूद्दीन नगर, मुरादनगर और यमुनानगर के चैनल महत्वपूर्ण हैं, जिनके माध्यम से गंगा का पानी हरियाणा आ सकता है। चीफ इंजीनियर के नेतृत्व वाली कमेटी एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट हरियाणा सरकार को देगी, जिसके बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से गंगा-यमुना लिंक नहर बनाने की संभावना पर चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।
इसलिए चाहिए हरियाणा को गंगा का पानी हरियाणा सरकार का मानना है कि पूरे राज्य में पीने के पानी का संकट बढ़ रहा है। एनसीआर के दो प्रमुख जिलों गुरुग्राम और फरीदाबाद में काफी समस्या है। दिल्ली में भी पानी की कमी बढ़ती जा रही है। यदि राज्य को एसवाईएल का पानी मिल जाता तो समस्या काफी हद तक खत्म हो जाती, लेकिन पंजाब अपने पास पानी नहीं होने की बात कहकर हरियाणा के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानने की जिद पर अड़ा है, जिसके बाद अब हरियाणा ने गंगा के पानी से अपने राज्य के साथ-साथ दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाने की कार्ययोजना बनाई है।
यमुना के पानी पर निर्भरता होगी कम गंगा का पानी हरियाणा लाने की परियोजना की यदि मंजूरी मिलती है तो हरियाणा इसे 2031 तक पूरी कर लेना चाहता है। गंगा का पानी हरियाणा में आने के बाद यमुना नदी के पानी पर निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
हरियाणा सरकार की योजना के तहत गंगा नदी के पानी को यमुना नदी में मिलाया जाएगा और फिर हरियाणा में पहुंचाया जाएगा। सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को इस परियोजना के क्रियान्वयन में आने वाली समस्त दिक्कतों की अलग रिपोर्ट तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि उन्हें उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान चर्चा कर दूर कराया जा सके।
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