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    Haryana News: पूर्व मंत्री राव नरबीर को राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की आपराधिक मामला चलाने की मांग

    Updated: Wed, 28 Aug 2024 04:45 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री राव नरबीर के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। उन पर चुनाव के समय अपने शपथ पत्रों में झूठे ...और पढ़ें

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    Haryana News: पूर्व मंत्री राव नरबीर को राहत, याचिका खारिज।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व मंत्री राव नरबीर द्वारा चुनाव के समय अपने शपथ पत्रों में झूठे शैक्षणिक दस्तावेज लगाने के मामले में आपराधिक मामला चलाने की मांग को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह मामला पिछले पांच साल से हाई कोर्ट में विचाराधीन था। बुधवार को हाईकोर्ट के जस्टिस महावीर सिंह संधू ने पिछले फैसला सुरक्षित रख फैसले को सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि इस मामले में अभी विस्तृत फैसला आना बाकी है।

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    हाई कोर्ट ने जुलाई 2019 में राव को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाए, लेकिन इसके बाद सुनवाई लगातार स्थगित होती रही थी। हाई कोर्ट ने आरटीआइ कार्यकर्ता हरेंद्र ढींगरा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राव नरबीर से जवाब मांगा था। याचिका के अनुसार याची ने 2017 में मंत्री राव नरबीर की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगी थी।

    शपथ पत्र में दाखिल किए झूठे शैक्षणिक पत्र

    उन्हें सूचना नहीं मिली और प्रथम अपील दाखिल करनी पड़ी। एक दिसंबर 2018 को उन्हें राव नरबीर के शपथ पत्रों और शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मिली। उन्होंने आरोप लगाया है कि राव नरबीर ने झूठे शैक्षणिक पत्र दाखिल किए। राव नरबीर ने 2005, 2009 और 2014 में चुनाव लड़े और शपथ पत्र दाखिल किए।

    उन्होंने 2005 में शपथ पत्र दाखिल किया कि 10वीं की पढ़ाई 1976 में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से की है। 2009 के चुनाव में शपथ पत्र दाखिल किया कि उन्होंने 10वीं बिरला विद्या मंदिर नैनीताल से की है। उन्होंने 1986 में हिंदी साहित्य में हिंदी विश्वविद्यालय, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से ग्रेजुएशन करने की बात कही है।

    क्या बोले हाईकोर्ट

    याचिका में आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में राजस्थान प्रदेश बनाम सरदारशहर एवं अन्य की सुनवाई करते हुए कहा था कि हिंदी साहित्य सम्मेलन को विश्वविद्यालय या बोर्ड की मान्यता नहीं है। 1997 में राम भगत शर्मा बनाम हरियाणा राज्य केस के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने साफ किया था कि यह विश्वविद्यालय अमान्य है।

    इससे डिग्री लेकर सरकारी नौकरी लगे लोगों को हटाया जाए। इससे पहले याचिकाकर्ता ने गुरुग्राम कोर्ट में भी यह याचिका दायर की थी लेकिन गुरुग्राम कोर्ट ने उसकी यह याचिका खारिज कर दी थी।