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    हरियाणा शराब ठेका आवंटन विवाद: हत्या के दोषी को मिला लाइसेंस, विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

    हरियाणा में शराब ठेकों के आवंटन को लेकर विवाद गहरा गया है। हिसार जिले में नवप्रीत हॉस्पिटैलिटी एलएलपी को ठेके दिए गए जिसके आवंटनधारी आशीष कुमार हैं। आरोप है कि आशीष कुमार ने शपथ पत्र में हत्या के मामले में सजा की जानकारी छिपाई जो कि नियमों का उल्लंघन है। पूर्व एडवोकेट जनरल ने आबकारी विभाग को नोटिस भेजा है।

    By Dayanand Sharma Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 28 Aug 2025 05:07 PM (IST)
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    हरियाणा में शराब ठेकों के आवंटन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में शराब ठेकों के आवंटन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। हिसार जिले में लगभग 20 शराब ठेकों का आवंटन नवप्रीत हास्पिटैलिटी एलएलपी को किया गया, जिसके आवंटनधारी आशीष कुमार बताए जा रहे हैं। इस मामले पर अब कानूनी पेंच आ गया है और आबकारी विभाग की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।

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    इस मामले को लेकर हरियाणा के पूर्व एडवोकेट जनरल और पूर्व एडीशनल सालिसिटर जनरल मोहन जैन के कार्यालय से आबकारी एवं कराधान आयुक्त, अतिरिक्त आबकारी आयुक्त और उपायुक्त (आबकारी) को कानूनी नोटिस भेजा गया है। इसकी प्रति हरियाणा पुलिस महानिदेशक को भी प्रेषित की गई है।

    कानूनी नोटिस में कहा गया है कि हरियाणा आबकारी अधिनियम, 1914, हरियाणा शराब लाइसेंस नियम, 1970 और हरियाणा आबकारी नीति (2025–2027) के अनुसार, शराब ठेका उन्हीं व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जा सकता है, जिनके खिलाफ कोई गैर-जमानती अपराध का दोष सिद्ध न हुआ हो। साथ ही, सफल आवंटनधारी को शपथ पत्र देना अनिवार्य है कि वह किसी गैर-जमानती अपराध में दोषी नहीं है।

    नोटिस के अनुसार दस्तावेजों से यह तथ्य उजागर हुआ कि आशीष कुमार को वर्ष 1995 में हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वर्ष 1998 में सेशन जज आर एन सिंगल की अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास तथा छह माह कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

    इसके बावजूद उन्होंने शपथ पत्र में यह तथ्य छिपाया और विभाग को यह विश्वास दिलाया कि उनके खिलाफ कोई गैर-जमानती अपराध का दोष सिद्ध नहीं है। नोटिस में कहा गया है कि यह शपथपत्र स्पष्ट रूप से झूठा और भ्रामक है। हरियाणा आबकारी नीति की धारा 2.10 के तहत झूठा शपथ पत्र देना लाइसेंस की तत्काल रद्दीकरण की वैधानिक स्थिति है।

    इसके बावजूद विभाग ने कोई उचित कदम नहीं उठाया है। नोटिस में कहा गया है अगर विभाग इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करेगा तो इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।