हरियाणा मानवाधिकार आयोग की कार्यशैली बनी आदर्श, छह महीनों में 3086 मामलों का हुआ समाधान
हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने छह महीनों में 3086 मामलों का निपटारा किया जिसमें दो साल से लंबित मामले भी शामिल थे। आयोग ने जेलों वृद्धाश्रमों और बाल देखरेख संस्थाओं का निरीक्षण कर कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की। शिकायत प्रणाली को सरल बनाते हुए ईमेल से शिकायत दर्ज करने की सुविधा भी शुरू की गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने केवल छह महीनों के भीतर 3086 मामलों का निपटारा किया है। आयोग के सूचना व जनसंपर्क अधिकारी द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार निपटारे में 56 ऐसे मामले भी शामिल हैं जो दो वर्षों से लंबित थे।
30 नवंबर 2024 तक लंबित 3171 मामलों में से, 1438 नए मामलों सहित कुल 4609 मामलों में सुनवाई हेतु उपलब्धता रही, जिनमें से 3086 मामलों का समाधान कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024-25 के दौरान हरियाणा में 2442 नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें सबसे अधिक मामले गुरुग्राम (320) और फरीदाबाद (258) से सामने आए। इसके बाद हिसार (182), पंचकूला (173), करनाल (109) और सिरसा व सोनीपत में क्रमश 113-113 मामले दर्ज हुए। सबसे कम मामले चरखी दादरी से (30) दर्ज किए गए।
राष्ट्रीय मंच पर हरियाणा की सराहना
जेलों, वृद्धाश्रमों, और बाल देखरेख संस्थाओं का निरीक्षण कर आयोग ने यह सुनिश्चित किया कि संवेदनशील वर्गों के अधिकार सुरक्षित रहें और उन्हें मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित न होना पड़े। राष्ट्रीय मंच पर भी हरियाणा की कार्यशैली को सराहना मिली।
बिहार के गया में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में आयोग के अध्यक्ष ललित बत्रा ने “महिला बंदियों के अधिकार” विषय पर प्रभावशाली प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने हरियाणा द्वारा जेलों में अपनाई गई मानवीय और पुनर्वास की दृष्टिकोण को विस्तार से प्रस्तुत किया।
आयोग के सदस्यों ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, और कैथल की जेलों का दौरा कर वहां की स्थितियों का निरीक्षण किया और प्रशासन को निर्देश दिए कि प्रत्येक बंदी को उचित भोजन, चिकित्सा और स्वच्छता के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण भी प्राप्त हो, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
मूलभूत सुविधाओं की की गई समीक्षा
इसी क्रम में गुरुग्राम के ताऊ देवी लाल वृद्धाश्रम और करनाल स्थित स्वामी श्रद्धानंद अनाथालय का भी निरीक्षण किया गया। वृद्धाश्रम में बुजुर्ग महिलाओं की मूलभूत सुविधाओं की समीक्षा की गई और अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि पात्र महिलाओं को आधार, आयुष्मान, वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाओं से तुरंत जोड़ा जाए।
वहीं, अनाथालय में बच्चों से संवाद कर उन्हें संस्कारवान बनाने और वैदिक शिक्षा के माध्यम से जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।मानवाधिकार संरक्षण के लिए शिकायत प्रणाली को सरल और सुलभ बनाते हुए आयोग ने न केवल ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी है। इससे अब नागरिकों को अपनी शिकायतों को लेकर चंडीगढ़ या गुरुग्राम के मुख्यालय पर बार-बार नहीं जाना पड़ता।
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