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    हरियाणा में पहले से आवंटित प्लॉट को फिर कर दिया नीलाम, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 07:47 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एचएसआईआईडीसी को नोटिस जारी किया है, जिसमें आईएमटी रोहतक में एक औद्योगिक भूखंड के आवंटन में अनियमितता का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ई-नीलामी जीतने के बावजूद, उन्हें भूखंड आवंटित नहीं किया गया क्योंकि इसे पहले ही किसी और को आवंटित कर दिया गया था। अदालत ने एचएसआईआईडीसी से जवाब मांगा है।

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    रोहतक में आवंटित प्लॉट की दोबारा हुई नीलामी, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आईएमटी रोहतक में मेगा फूड पार्क में एक औद्योगिक भूखंड के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाले दो याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर एक याचिका पर हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) को नोटिस जारी किया है।

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    याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ई-नीलामी जीतने के बावजूद, उन्हें इस आधार पर आवंटन से इनकार कर दिया गया कि उसी भूखंड को पहले ही किसी अन्य पार्टी को आवंटित किया जा चुका है। याचिका के अनुसार, दोनों ने जून 2025 में बयाना राशि (ईएमडी) जमा की और 16 जुलाई, 2025 को आयोजित ई-नीलामी में भाग लिया।

    याचिकाकर्ता नीति और सोनू का दावा है कि वे सबसे ऊंची और सफल बोली लगाने वाले के रूप में उभरे हैं। हालांकि, जब उन्होंने शेष राशि का भुगतान करने का प्रयास किया, तो बार-बार प्रयासों के बावजूद, एचएसआईआईडीसी पोर्टल पर भुगतान लिंक कथित रूप से खुलने में विफल रहा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 26 अगस्त, 2025 को, उन्हें एचएसआईआईडीसी से एक सूचना मिली, जिसमें उनकी बोली इस आधार पर रद्द कर दी गई थी कि प्लॉट पहले ही कहीं और आवंटित किया जा चुका है, जिससे वे 'स्तब्ध और आहत' हुए।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एचएसआईआईडीसी ने सबसे ऊंची बोली लगाने वालों की बोली रद्द करके मनमाना काम किया और नीलामी आयोजित करने से पहले बुनियादी जाँच-पड़ताल भी नहीं की। उन्होंने दलील दी कि ई-नीलामी नियमों और ईएमपी-2015 की शर्तों पर निगम का भरोसा, खासकर बिना कारण बताए बोलियों को स्वीकार या अस्वीकार करने का उसका अधिकार, इस तरह की 'अत्याचारिता' को उचित नहीं ठहरा सकता।

    याची के वकील ने तर्क दिया कि एचएसआईआईडीसी की संपदा प्रबंधन पद्धतियां 'निरंकुश' हैं, और याचिकाकर्ताओं को निगम की अपनी खामियों का खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए। उन्होंने अदालत से एचएसआईआईडीसी को उसी आकार, माप, कीमत और स्थान का एक वैकल्पिक औद्योगिक प्लॉट आवंटित करने का निर्देश देने का आग्रह किया। इन दलीलों पर गौर करते हुए, जस्टिस अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने एचएसआईआईडीसी को नोटिस जारी किया।