'30 दिन की देरी नौकरी नहीं छीन सकती', HC ने हरियाणा सरकार को दी याचिकाकर्ता को 2 हफ्ते में जॉब लेटर देने की चेतावनी
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी उम्मीदवार को केवल 30 दिनों के भीतर नियुक्ति जारी न करने के आधार पर नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस जगमोहन बंसल ने हरियाणा सरकार को हर्ष रावल को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया, क्योंकि देरी उनके नियंत्रण से बाहर थी। अदालत ने कहा कि नौकरी के अवसर सीमित हैं और तकनीकी कारणों से नियुक्ति से वंचित करना उचित नहीं है।
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कोन्स्टेबल के पद पर चयनित अभ्यर्थी को दोबारा मौका देने का निर्देश (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी उम्मीदवार को केवल 30 दिन की समय सीमा में नियुक्ति जारी न करने के आधार पर नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता, खासकर जब देरी उसके नियंत्रण से बाहर हो। जस्टिस जगमोहन बंसल ने हरियाणा सरकार द्वारा हर्ष रावल की नियुक्ति अस्वीकार करने के आदेश को रद्द करते हुए दो सप्ताह के भीतर उन्हें नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया।
मामले के अनुसार, हर्ष रावल ने हरियाणा स्टाफ चयन आयोग द्वारा 28 जून 2024 को जारी विज्ञापन के तहत कोन्स्टेबल पद के लिए आवेदन किया था। उन्होंने कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट, फिजिकल माप परीक्षण और फिजिकल स्क्रीनिंग टेस्ट सभी चरण सफलतापूर्वक पूरे किए। परिणाम 17 अक्टूबर 2024 को घोषित हुआ और उन्हें 20 नवंबर 2024 को शामिल होने के लिए पत्र भेजा गया।
हालांकि, इसी अवधि में उनके गांव में राजनीतिक गुटबाजी के चलते झगड़ा हुआ, जिसमें दो एफआईआर दर्ज हुईं एक रावल के परिवार की ओर से और दूसरी उनके खिलाफ। इस विवाद के चलते वह न्यायिक हिरासत में चले गए। बाद में मामला आपसी समझौते से सुलझा और हाई कोर्ट ने 19 मई 2025 को उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।
रावल की ओर से जॉइनिंग के लिए समय की मांग की गई थी, लेकिन जिला पुलिस अधीक्षक ने 8 सितंबर 2025 को इसे ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि सरकारी निर्देशों के अनुसार नियुक्ति के बाद 30 दिन से अधिक विलंब स्वीकार नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि ये सरकारी निर्देश अनिवार्य नहीं बल्कि दिशा-निर्देशात्मक हैं और इन्हें यांत्रिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि नियम 12.18 पंजाब पुलिस नियम, 1934, (जो हरियाणा में लागू है) ऐसे मामलों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और इनमें 30 दिन की कठोर सीमा निर्धारित नहीं है।जस्टिस बंसल ने कहा नौकरी के अवसर देश में सीमित हैं। किसी उम्मीदवार को केवल प्रक्रिया में देरी या तकनीकी कारणों से नियुक्ति से वंचित करना न्यायोचित नहीं है।
निर्देशों को कठोर नियम की तरह नहीं, बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाना चाहिए।हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस विभाग को आदेश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर हर्ष रावल को नियुक्ति पत्र जारी करें और उन्हें सेवा में शामिल होने दें, बशर्ते वे अन्य औपचारिकताओं का पालन करें। कोर्ट ने साफ कहा कि प्रशासनिक निर्देश कोर्ट पर बाध्यकारी नहीं होते, न्याय और निष्पक्षता सर्वोपरि है।
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