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    चीफ फायर ऑफिसर पद से वंचित रहे पूर्व अधिकारी को दो लाख मुआवजा देने का आदेश, HC का बड़ा फैसला

    Updated: Wed, 02 Jul 2025 04:11 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को पूर्व फायर ऑफिसर इलाम सिंह चौहान को दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। उन्हें चीफ फायर ऑफिसर के पद से इसलिए वंचित किया गया क्योंकि उनके पास साइंस में स्नातक की डिग्री नहीं थी जबकि यह योग्यता अनिवार्य नहीं थी। कोर्ट ने इसे गलत मानते हुए मुआवजे का आदेश दिया है।

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    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह पूर्व फायर ऑफिसर इलाम सिंह चौहान को दो लाख रुपये मुआवजा दे, जिन्हें चीफ फायर ऑफिसर के पद से सिर्फ इस आधार पर वंचित कर दिया गया था कि उनके पास साइंस में स्नातक डिग्री नहीं थी जबकि यह योग्यता केवल वांछनीय थी, अनिवार्य नहीं।

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    अंबाला निवासी पूर्व वायुसेना अधिकारी इलाम सिंह चौहान ने 1989 में सेवा निवृत्त होने के बाद हरियाणा सरकार में फायर स्टेशन आफिसर के तौर पर 1990 में नियुक्ति पाई थी। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया, और 1998 में फायर ऑफिसर पद पर पदोन्नत हुए। उन्होंने समय-समय पर चीफ फायर आफिसर पद पर पदोन्नति की मांग की, परंतु उन्हें योग्यता की आड़ में बार-बार नकारा गया।

    सरकार ने तर्क दिया कि इस पद के लिए साइंस में स्नातक डिग्री अनिवार्य थी, जबकि याचिकाकर्ता के पास बीए ऑनर्स डिग्री थी। कोर्ट ने यह तर्क खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि विभाग द्वारा उल्लेखित दिशा-निर्देशों में साइंस की डिग्री को सिर्फ 'वांछनीय' बताया गया है, न कि अनिवार्य । इस प्रकार, याचिकाकर्ता को गलत तरीके से पदोन्नति से वंचित किया गया।

    जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की एकल पीठ ने कहा कि हालांकि कोर्ट याचिकाकर्ता को चीफ फायर ऑफिसर पद पर पदोन्नत करने का आदेश नहीं दे सकती क्योंकि वह पद न तो सेवा नियमों के अंतर्गत था और न ही कभी भरा गया, लेकिन याचिकाकर्ता को गलत कारणों से अयोग्य ठहराया गया, जिससे उन्हें मानसिक पीड़ा और कानूनी लड़ाई झेलनी पड़ी।

    कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वह तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता को दो लाख का मुआवजा दे, ताकि उसे हुई मानसिक प्रताड़ना और अनावश्यक कानूनी लड़ाई का आंशिक समाधान मिल सके।