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    नायब सरकार का बड़ा फैसला, हरियाणा में 5 हेक्टेयर से कम जमीन पर पेड़-पौधों और झाड़ियों को नहीं माना जाएगा वन

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 11:11 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने वन क्षेत्र की परिभाषा में बदलाव किया है जिसके अनुसार अब अधिसूचित वन क्षेत्रों से बाहर पांच हेक्टेयर से कम भूमि पर उगे पेड़ों को वन नहीं माना जाएगा। नए नियमों के अनुसार अधिसूचित वनों से सटे क्षेत्रों में वन के लिए न्यूनतम दो हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए। इस बदलाव से राज्य के वन क्षेत्र में कमी आने की संभावना है।

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    पांच हेक्टेयर से कम जमीन पर पेड़-पौधों और झाड़ियों को नहीं माना जाएगा वन। फाइल फोटो

    सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में अब अधिसूचित वन से अलग पांच हेक्टेयर से कम जमीन पर उगे पेड़-पौधों और झाड़ियों को वन नहीं माना जाएगा। अधिसूचित वनों से सटे क्षेत्र के मामले में वन के लिए न्यूनतम दो हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए। वनस्पति छत्र घनत्व (पेड़ों के छत्र या पत्तों के फैलाव की सघनता) 0.4 या इससे अधिक होना चाहिए।

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    पर्यावरण, वन और वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। सरकार द्वारा अधिसूचित वनों के बाहर स्थित सभी रेखीय/सघन/कृषि-वानिकी/ वृक्षारोपण एवं बाग-बगीचों को भी वन नहीं माना जाएगा। अभी तक किसी क्षेत्र को वन घोषित करने के लिए न्यूनतम एक हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए थी जिसमें 10 प्रतिशत से अधिक वृक्ष छत्र घनत्व हो।

    नए नियम से हरियाणा के वन क्षेत्र में कमी आ सकती है। खास बात यह कि करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद वर्ष 2019 से 2023 के बीच राज्य में वन क्षेत्र में सिर्फ 12 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

    पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार से हरियाणा को कैंपा (कंपेंसेटरी अफारेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) के अंतर्गत 982 करोड़ रुपये, नगर वन योजना के अंतर्गत साढ़े चार करोड़ रुपये, वन अग्नि निवारण एवं प्रबंधन योजना के अंतर्गत 17 लाख रुपये और हरित भारत मिशन के अंतर्गत करीब आठ करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। यानी कुल मिलाकर केंद्र से 994 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई है।

    भारत राज्य वन रिपोर्ट (आइएसएफआर) -2019 के अनुसार हरियाणा का वन क्षेत्र 1,602 वर्ग किलोमीटर था, जो 2023 में बढ़कर 1,614.26 वर्ग किलोमीटर हो गया। यानी 12.26 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में 146.35 वर्ग किलोमीटर और जम्मू-कश्मीर में 224.39 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में वृद्धि देखी गई। हालांकि इस दौरान पंजाब में 2.91 वर्ग किलोमीटर की गिरावट देखी गई।

    दस साल में सिर्फ 30 वर्ग किलोमीटर बढ़ा वन क्षेत्र

    आईएसएफआर की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 और 2023 के बीच हरियाणा में वन क्षेत्र में मात्र 30.88 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में 897.35 वर्ग किलोमीटर और पंजाब में 55.31 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई। जम्मू-कश्मीर में वन क्षेत्र में 398.12 वर्ग किलोमीटर और लद्दाख में 807.92 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई।

    वनीकरण का लक्ष्य नहीं हो सका पूरा

    केंद्रीय सशक्त समिति की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक हरियाणा में वनीकरण का लक्ष्य 5,803.08 हेक्टेयर था, जिसमें से 5,012.91 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण किया गया। इन वर्षों के लिए केंद्र सरकार ने 962.22 करोड़ का वित्तीय अनुमोदन दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने 1,041 करोड़ जारी किए, जो स्वीकृत राशि से अधिक है। फिर भी कैंपा फंड का केवल 57.38 प्रतिशत ही व्यय किया गया।