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    हरियाणा सरकार की बस संचालकों को बड़ी राहत, जल्द मिलेगा कोरोना काल में बंद बसों के लिए 249 दिन का 35% लीज भुगतान

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 05:55 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में किलोमीटर स्कीम के तहत नहीं चल पाई बसों के संचालकों को राहत दी है। बस संचालकों को 35% लीज चार्ज के हिसाब से 249 दिन का भुगतान होगा। परिवहन विभाग ने किलोमीटर स्कीम बस आपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन की मांग को मानते हुए यह निर्णय लिया है। यह भुगतान दो चरणों में किया जाएगा, लेकिन लॉकडाउन अवधि का भुगतान नहीं होगा।

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    परिवहन विभाग ने सभी रोडवेज महाप्रबंधकों को जारी किया आदेश (फोटो: जागरण)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में कोरोना काल में किलोमीटर स्कीम के तहत नहीं चल पाईं बसों के संचालकों को प्रदेश सरकार ने बड़ी राहत दी है। बस संचालकों को 35 प्रतिशत लीज चार्ज के हिसाब से 249 दिन का भुगतान किया जाएगा।

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    परिवहन विभाग ने किलोमीटर स्कीम बस आपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन की मांग को मानते हुए यह निर्णय लिया है। राज्य परिवहन निदेशालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लीज पर चलने वाली 700 बसों के लिए 249 दिनों का फिक्स्ड कंपोनेंट भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान दो चरणों में किया जाएगा।

    पहला चरण 18 मई 2020 से 23 नवंबर 2020 यानी 190 दिन का है। दूसरा चरण 3 मई 2021 से 30 जून 2021 तक 59 दिन का रहेगा। यानी कुल 249 दिनों का फिक्स्ड कंपोनेंट भुगतान जारी किया जाएगा। हालांकि, लाकडाउन अवधि (25 मार्च, 2020 से 17 मई, 2020) के दौरान का भुगतान नहीं किया जाएगा, क्योंकि उस समय पूरे देश में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह बंद था।

    परिवहन विभाग ने सभी रोडवेज डिपो महाप्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि भुगतान करते समय संबंधित डिपो के रिकार्ड को आधार बनाया जाए। जब बसें नहीं चलीं, उन दिनों के किलोमीटर, बसों की संख्या और अवधि के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। यह फैसला उन सैकड़ों प्राइवेट बस संचालकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिन्होंने कोविड काल में भारी आर्थिक नुकसान झेला था। सभी महाप्रबंधकों को जल्द यह भुगतान जारी करने को कहा गया है, ताकि बस ऑपरेटरों को और अधिक प्रतीक्षा न करनी पड़े।

    दरअसल हरियाणा में किलोमीटर स्कीम के तहत निजी आपरेटरों से बसें किराए पर लेकर परिवहन विभाग चलाता है। लाकडाउन के समय यह बसें डिपो में खड़ी रहीं, लेकिन रखरखाव, बैंक लोन और अन्य खर्चों ने आपरेटरों की कमर तोड़ दी थी। अब यह आदेश न केवल उनके लिए आर्थिक राहत लेकर आया है, बल्कि इस बात का भी संकेत देता है कि सरकार कोविड काल के बकाया मामलों को सुलझाने के मूड में है।