हरियाणा में अब इतनी पुरानी गाड़ियों को नहीं मिलेगा इंधन, प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए सरकार का फैसला
हरियाणा सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए एक और कदम उठाया है। अब 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को हरियाणा एनसीआर के शहरों में ईंधन नहीं मिलेगा। पेट्रोल पंपों पर लगे कैमरे वाहनों की पहचान करेंगे। पहले चरण में गुरुग्राम के पेट्रोल पंपों पर ये कैमरे लगाए जाएंगे। सरकार उन वाहनों को राहत देने पर भी विचार कर रही है जो अवधि पूरी होने के बाद भी अच्छी हालत में हैं।

15 साल पुरानी पेट्रोल तथा 10 साल पुरानी डीजल की गाड़ियों को नहीं मिलेगा तेल (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आपका वाहन उम्र (तय अवधि) पूरा कर चुका है और फिटनेस भी ठीक नहीं है, तो हरियाणा एनसीआर के शहरों में उसे पेट्रोल तथा डीजल नहीं मिलेगा। ऐसे वाहनों की पहचान पेट्रोल पंप पर लगे एआइ तकनीक से युक्त लगे आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (एएनपीआर) कैमरे से की जाएगी। वाहन का नंबर प्लेट स्कैन करते ही कैमरे से जुड़ी स्क्रीन पर गाड़ी की आरसी अवधि दिखेगी और यह मैसेज भी होगा की वाहन को तेल नहीं देना है।
शहरों में बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजह पुराने वाहन माने जा रहे है। इसी के चलते पेट्रोल से चलने वाले पंद्रह साल तथा डीजल से चलने वाले दस साल पुराने वाहन की पहचान कर ईंधन नहीं दिए जाने की योजना बनाई गई है। हरियाणा के परिवहन विभाग ने योजना बनाकर फाइल मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह की ओर से सहमति मिलते ही परिवहन विभाग कैमरे लगाने के लिए टेंडर आमंत्रित करेगा। योजना के पहले चरण में गुरुग्राम के 852 पेट्रोल पंप पर स्मार्ट कैमरे लगेंगे, इसके बाद फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत, रेवाड़ी में भी कैमरे लगाए जाने हैं। गुरुग्राम सहित इन सभी शहरों में अक्टूबर से दिसंबर तक वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्थित में पहुंच जाता है।
इस सीजन में भी अभी से ही वायु गुणवत्ता सूचकांक तीन सौ के आसपास पहुंच चुका है। पिछले दो साल से नवंबर माह में प्रदूषण इतना बढ़ गया था कि प्रशासन को स्कूल तक बंद करने पड़े थे। परिवहन विभाग की ओर से गुरुग्राम के अलावा अन्य शहरों के पेट्रोल पंपों की संख्या का आकलन जिला स्तर पर किया जा रहा है।
योजना लागू हुई तो वह लोग सवाल खड़ा करेंगे कि उनके वाहन की तय अवधि जरूर बीत गई है, लेकिन वाहन पचास हजार या एक लाख किलोमीटर ही चला है। वह सड़क पर चलने के लिए बिलकुल फिट है। ऐसी स्थित में राहत देने के लिए रणनीति बनाने के बाद ही मुख्यमंत्री की ओर से प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाई जानी है।
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