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    हरियाणा सरकार ने रिटायरमेंट के 3 दिन बाद अशोक खेमका की दी राहत, संजीव वर्मा के केस की नहीं होगी जांच; रद होगी FIR

    Updated: Fri, 02 May 2025 11:00 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने अशोक खेमका को सेवानिवृत्ति के बाद राहत दी है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर की जांच नहीं होगी। सरकार ने संजीव वर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच भी रोक दी है जिससे दोनों एफआईआर रद्द हो जाएंगी। यह मामला हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों से जुड़ा है। नायब सरकार ने उन्हें राहत दी है।

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    हरियाणा सरकार ने अशोक खेमका को दी राहत। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने तीन दिन पहले रिटायर हुए चर्चित आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को रिटायरमेंट के बाद बड़ी राहत प्रदान की है। प्रदेश सरकार ने उनके विरुद्ध पंचकूला थाने में दर्ज भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा में दर्ज एफआईआर की जांच की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। खेमका को इसका फायदा यह होगा कि अब उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर खुद ही समाप्त हो जाएगी।

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    खेमका ने अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर की प्रतिक्रिया में आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा के विरुद्ध भी पंचकूला थाने में क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई थी।

    संजीव वर्मा हालांकि चाहते थे कि उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर की जांच कराई जाए, इसे लेकर उन्होंने प्रदेश सरकार व पुलिस महानिदेशक को कई बार पत्र लिखे तथा वे राज्य मानवाधिकार आयोग में भी गए, लेकिन सरकार ने वर्मा के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की जांच की भी अनुमति नहीं दी है। नतीजतन संजीव वर्मा के विरुद्ध दर्ज एफआईआर भी स्वतः ही खत्म हो जाएगी। दोनों अधिकारियों का यह विवाद हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों से जुड़ा है।

    अशोक खेमका के साथ नजर आए थे अनिल विज

    अशोक खेमका 1991 बैच के आइएएस अधिकारी हैं और 30 अप्रैल को रिटायर हो चुके हैं। संजीव वर्मा साल 2004 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और खेल महानिदेशक, आयुष महानिदेशक तथा विदेश सहयोग विभाग के महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं।

    उनकी रिटायरमेंट 30 अप्रैल 2027 को है। दोनों अधिकारियों को चूंकि ईमानदार माना जाता है, इसलिए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनके पेंच फंसे हुए थे। दोनों का विवाद इतना बढ़ चुका था कि करीब तीन साल पहले उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में एक दूसरे के विरुद्ध पंचकूला थाने में एफआईआर दर्ज करानी पड़ गई थी।

    उस समय के गृह मंत्री अनिल विज इस पूरे प्रकरण में अशोक खेमका के साथ खड़े नजर आए थे। अपनी रिटायरमेंट के दिन भी खेमका ने अनिल विज से मुलाकात की थी। अपने सर्विस करियर में 52 तबादले प्राप्त करने वाले खेमका अब वकालत करने की तैयार में हैं।

    किसी भी आईएएस अधिकारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले सरकार की अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है, लेकिन पंचकूला पुलिस ने खेमका व वर्मा के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले आश्चर्यजनक रूप से सरकार से अनुमति प्राप्त नहीं की थी।

    'सरकार से क्यों ली गई अनुमति'

    एफआईआर दर्ज करने के बाद पंचकूला पुलिस ने सरकार के साथ कई बार पत्राचार किया और जांच आरंभ करने की अनुमति मांगी। तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज उस समय खेमका के विरुद्ध जांच आरंभ करने की अनुमति देने से मना कर चुके थे।

    मगर अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के माध्यम से दोनों अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर में जांच आरंभ करने की अनुमति प्रदान नहीं की है। दलील यही दी गई कि एफआईआर दर्ज करने से पहले सरकार से अनुमति क्यों नहीं ली गई।

    इससे खेमका को बड़ी राहत मिली है और वे अब अपने करियर की नई पारी बिना किसी कानूनी अड़चन के आरंभ कर सकेंगे। खेल व आयुष महानिदेशक संजीव वर्मा को भी सरकार ने बड़ी राहत दी है, लेकिन वे अभी भी मांग कर रहे हैं कि आरोपों की जांच होनी ही चाहिए। इसके लिए वह मानवाधिकार आयोग भी गए हैं।

    मानवाधिकार आयोग ने वर्मा के अनुरोध पर पुलिस महानिदेशक से जवाब मांगा हुआ है। हाईकोर्ट ने इस केस में दर्ज एफआईआर पर स्टे करने से इनकार कर दिया था और पुलिस को इस शर्त के साथ जांच प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए कहा था कि किसी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी।

    हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों से जुड़ा मामला

    अशोक खेमका व संजीव वर्मा के बीच विवाद का यह मामला हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन से जुड़ा है। कॉरपोरेशन के एमडी रहते हुए संजीव वर्मा ने करीब 12 साल पहले हुई नियुक्तियों में अनियमितताओं का मामला उजागर किया था।

    उस समय अशोक खेमका कॉरपोरेशन के एमडी थे। जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्तियों को गलत ठहराया गया था, उन्हें बर्खास्त किया जा चुका है। वे कर्मचारी हालांकि बाद में कोर्ट से स्टे ले आए थे।

    नियुक्तियों में अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद खेमका अपनी उस पुरानी रिपोर्ट को सामने ले आए थे, जिसमें संजीव वर्मा पर आरोप थे कि सामाजिक कल्याण विभाग के निदेशक रहते हुए वर्मा ने सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग किया।

    दोनों अधिकारियों का यह विवाद काफी सुर्खियों में रहा है। संजीव वर्मा ने कॉरपोरेशन में नियुक्तियों के मामले में भ्रष्टाचार की आशंका जाहिर करते हुए अशोक खेमका के खिलाफ पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में एफआईआर नंबर 170 दर्ज कराई थी। इसके बाद खेमका ने वर्मा के विरुद्ध एफआईआर नंबर 171 दर्ज कराई थी।

    खेमका की ओर से पैरवी के लिए उस समय के गृह मंत्री अनिल विज भी थाने पहुंचे थे। प्रदेश सरकार ने बड़े ही डिप्लोमेटिक अंदाज में खेमका के विरुद्ध जांच प्रक्रिया नहीं बढ़ाने की अनुमति उनकी रिटायरमेंट के बाद दी है। सरकार चाहती थी तो रिटायरमेंट से पहले भी यह तोहफा उन्हें दे सकती थी।

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