नौकरी जाने के डर से घबराए हजारों युवाओं को हरियाणा सरकार ने दिया भरोसा, एडवोकेट जनरल से मांगी रिपोर्ट; संयम रखने की अपील
हरियाणा सरकार ने इस बात से इनकार किया कि किसी युवा को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के एडवोकेट जनरल परविंद्र चौहान को निर्देश दिए हैं कि युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने के सभी विकल्पों को तलाशकर उन्हें रिपोर्ट दी जाए ताकि युवाओं की मजबूत पैरवी की जा सके।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गरीबों को सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए गए अंकों संबंधी फैसला रद कर दिए जाने के बाद उन युवाओं की चिंता बढ़ गई है, जिन्हें सरकार के इस फैसले के आधार पर सरकारी नौकरियां मिली हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से सबसे अधिक पुलिस विभाग की भर्तियों पर असर पड़ने की संभावना है। पुलिस विभाग में एसआई, महिला एसआई तथा सिपाही के पदों पर सामाजिक-आर्थिक आधार के अंकों के आधार पर सबसे ज्यादा नियुक्तियां हुई हैं।
हरियाणा सरकार ने इस बात से इनकार किया कि किसी युवा को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के एडवोकेट जनरल परविंद्र चौहान को निर्देश दिए हैं कि युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने के सभी विकल्पों को तलाशकर उन्हें रिपोर्ट दी जाए, ताकि युवाओं की मजबूत पैरवी की जा सके। मुख्यमंत्री को उम्मीद है कि कुछ भी ऐसा नहीं होगा, जिसे लेकर युवा चिंतित हैं। उन्होंने स्वयं भी कानूनी राय लेनी शुरू कर दी है। हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग को निर्देश दिया कि तीन महीने के अंदर सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए अंक हटाकर नये सिरे से भर्तियों का रिजल्ट जारी किया जाए।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार की सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले अतिरिक्त अंकों संबंधी 11 जून 2019 को जारी अधिसूचना रद कर दी है। यह फैसला जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष हिम्मत सिंह ने शुक्रवार को प्रदेश के युवाओं के नाम जारी संदेश में कहा कि इंटरनेट मीडिया और अखबारों में सामाजिक आर्थिक आधार पर नौकरियों में दिए गए अंकों को वापस लेने संबंधी जो सूचनाएं आ रही हैं, उन पर अभी संयम बनाए रखें।हिम्मत सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा ऐसा कोई फैसला अभी अपनी साइट पर अपलोड नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट के विस्तृत फैसले का सभी इंतजार कर रहे हैं। हाई कोर्ट द्वारा आर्डर अपलोड करने के बाद कर्मचारी चयन आयोग की टीम उस पर गहनता से विचार करेगी। कर्मचारी चयन आयोग के पास इस फैसले को लेकर बहुत से कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं, जिनका आयोग उपयोग करेगा। हरियाणा के एडवोकेट जनरल से भी राय ली जाएगी। आप सभी संयम बनाए रखें, क्योंकि कर्मचारी चयन आयोग आपके साथ है।मनोहर सरकार के समय का अतिरिक्त अंकों के लाभ का फैसला पूर्ववर्ती मनोहर सरकार ने सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ों को नौकरियों में लाभ देते हुए सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर 5 से 10 अंक देने का प्रविधान किया था।
सरकार के इस फैसले से उन गरीब लोगों के घरों में भी बिना पर्ची और बिना खर्ची के सरकारी नौकरियां लगीं, जिनकी कोई सिफारिश नहीं थी और जो आज तक पैसे के प्रभाव से ही सरकारी नौकरियां प्राप्त हुआ मानते रहे हैं। उन उम्मीदवारों को अतिरिक्त 5 से 10 अंक दिए जाते हैं, जिनके परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है और परिवार की आमदनी सालाना 1.80 लाख रुपये से कम है। 2019 की नोटिफिकेशन में सामाजिक-आर्थिक बोनस अंक दिए जाने का प्रविधान है। 2021 में मोनिका रमन ने इस फैसले के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब इस अधिसूचना को रद करने की खबरें आ रही हैं।
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