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    खुशखबरी! हरियाणा सरकार के कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत, रिटायरमेंट साल में भी मिलेगा इंक्रीमेंट का लाभ

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 03:51 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार के कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने कहा है कि यदि किसी कर्मचारी ने अपनी सेवानिवृत्ति से पहले नौ महीने से अधिक सेवा की है तो वह वार्षिक वेतन वृद्धि का हकदार होगा भले ही वह 1 जुलाई को सेवा में न हो। यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए लाभकारी है।

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    हरियाणा सरकार के कर्मचारियों को बड़ी राहत, रिटायरमेंट वर्ष में भी मिलेगा लाभ

    राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा सरकार के कर्मचारियों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

    हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी एक जुलाई को सेवा में उपस्थित नहीं है, लेकिन उसने अपनी सेवानिवृत्ति से पहले नौ माह या उससे अधिक की सेवा पूरी कर ली है, तो वह वार्षिक वेतनवृद्धि का हकदार होगा।

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    जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने यह आदेश रोशन लाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया। याचिकाकर्ता ने हरियाणा सिविल सर्विसेज (वेतन) नियम, 2016 के अध्याय VII के नियम 29 को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि जो कर्मचारी 1 जुलाई को सेवा में उपस्थित नहीं हैं, उन्हें उस वर्ष का इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगा।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि यह नियम उन कर्मचारियों के साथ अन्याय करता है जिन्होंने सेवानिवृत्ति से पहले नौ माह या अधिक सेवा दी है।

    उन्होंने दलील दी कि नियम के अनुसार एक कर्मचारी को वार्षिक वेतनवृद्धि पाने के लिए कम से कम नौ माह की सेवा पूरी करनी होती है, इसलिए सिर्फ एक जुलाई को सेवा में उपस्थित न रहने के कारण लाभ से वंचित करना अनुचित है।

    हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसा कोई भी कर्मचारी जिसने अपने इन्क्रीमेंट वर्ष में नौ माह या उससे अधिक की सेवा पूरी की है, वह वेतनवृद्धि का हकदार होगा, भले ही वह एक जुलाई को रिटायर हो चुका हो या अवकाश पर हो।

    हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी अपने इन्क्रीमेंट वर्ष में छह माह या उससे कम सेवा पूरी करता है, उसे इस फैसले का लाभ नहीं मिलेगा।

    यह फैसला राज्य सरकार के हजारों कर्मचारियों को राहत देगा, जो सेवानिवृत्ति के वर्ष में वार्षिक वेतनवृद्धि से वंचित रह जाते थे। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में सरकार को तकनीकी आधारों पर कर्मचारियों के वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिए।