बाबा रामदेव की कंपनी की Coronil Kit खरीदने के हरियाणा सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
फरीदाबाद निवासी एक व्यक्ति ने बाबा रामदेव की कंपनी से कोरोनिल किट खरीदने के हरियाणा सरकार के फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने सरकार के इस फैसले को अवैज्ञानिक बताया है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी द्वारा निर्मित कोरोनिल किट (Coronil Kit) खरीदने के हरियाणा सरकार के फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। सरकार ने 2.5 करोड़ रुपये खर्च करके एक लाख कोरोनिल किट खरीदने और उसे रोगियों को मुफ्त में वितरित करने की घोषणा की थी।
फरीदाबाद निवासी युवक अभिजीत सिंह द्वारा दायर याचिका में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurved Limited) द्वारा निर्मित अवैज्ञानिक कोरोनिल किट की खरीद और वितरण से हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग को रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में हरियाणा सरकार को करदाताओं के पैसे को बर्बाद करने से रोकने के लिए और इसके बजाय उचित वैज्ञानिक दवा और चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करने के लिए और निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, टीके, ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर/सिलेंडर, एंटीबायोटिक्स, पेरासिटामोल, कफ सिरप, विटामिन-सी आदि की तत्काल आवश्यकता है न कि अवैज्ञानिक कोरोनिल किट की। याचिका में याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह से काम करने का निर्देश देने की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि 23 जून, 2020 को पतंजलि ने कोरोनिल किट लांच की, जिसमें दावा किया गया कि किट 100 प्रतिशत कोविड-19 रोगियों का इलाज करती है। इसके तुरंत बाद, आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को विज्ञापन बंद करने और पतंजलि द्वारा किए गए ऐसे दावों पर नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। 24 जून, 2020 को उत्तराखंड के आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी वाईएस रावत ने मीडिया को एक बयान दिया और समाचार लेख छपे, जिसमें बताया गया कि पतंजलि ने खांसी और बुखार के खिलाफ एक प्रतिरक्षा बूस्टर बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था न कि कोरोना वायरस दवा के लिए।
30 जून, 2020 को एक वीडियो सामने आया जिसमें पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण एक बयान जारी कर कह रहे है कि पतंजलि ने कभी भी कोविड-19 का इलाज नहीं बनाया और कोरोनिल खांसी और बुखार जैसी एलर्जी की समस्याओं को ठीक करने के लिए एक प्रतिरक्षा बूस्टर है। 19 फरवरी, 2021 को रामदेव ने एक विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट जारी की और झूठे दावे किए कि कोरोनिल पहली साक्ष्य-आधारित कोविड -19 दवा है जो डब्ल्यूएचओ प्रमाणित है। इसके कुछ देर बाद डब्ल्यूएचओ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि डब्ल्यूएचओ ने कोविड -19 के उपचार के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की प्रभावशीलता की समीक्षा या प्रमाणित नहीं किया है।
डब्ल्यूएचओ ने पतंजलि द्वारा जारी बयान को गलत करार दिया। याचिका में यह भी कहा गया है कि 22 मई को रामदेव एक व्यापक रूप से फैले वीडियो में एलोपैथी को नाटक और बेवकूफ बर्बाद विज्ञान कहते हुए नजर आए थे। उसी दिन आइएमए ने रामदेव को डॉक्टरों को बदनाम करने और एलोपैथी के बारे में गलत सूचना फैलाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा था। 23 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रामदेव को इस तरह के बयान देने से परहेज करने की सलाह दी थी।
इतना सब होने के बाद भी 24 मई को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने एक निर्णय लिया और ट्वीट किया कि हरियाणा सरकार 1 लाख कोरोनिल किट खरीदेगी और इसे कोविड रोगियों को मुफ्त में वितरित करेगी। हरियाणा सरकार इन कोरोनिल किट पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च करेगी। याचिका में हरियाणा सरकार व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी प्रतिवादी बनाया गया है। यह याचिका हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दायर कर दी गई है, इस पर जल्द ही सुनवाई की संभावना है।