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    हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों की नहीं चलेगी मनमानी, अनावश्यक बस्ते का बोझ बढ़ाएंगे तो होगी कार्रवाई

    Updated: Sun, 06 Apr 2025 10:31 AM (IST)

    हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर डाला जा रहा आर्थिक बोझ कम करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। अब निजी स्कूल मनमाने ढंग से किताबें वर्दी और पानी की बोतलें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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    अनावश्यक किताबें और वर्दी खरीदने के लिए मजबूर करने वाले निजी स्कूलों पर होगी कार्रवाई

    जागरण टीम, चंडीगढ़, हिसार, पानीपत। स्कूल जाने वाले एक विद्यार्थी के बस्ते का अनावश्यक बोझ बढ़ाकर अभिभावकों की जेब को हल्की करने वाले निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर प्रदेश सरकार सख्त हो गई है। अनावश्यक किताबें, वर्दी और पानी की बोतल तक को खरीदने के लिए मजबूर करने वाले निजी स्कूलों पर अब कार्रवाई होगी।

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    दैनिक जागरण ने बीते दिनों प्रदेश भर में अभियान चलाकर यह मुद्दा उठाया, कैसे हर वर्ष अप्रैल माह में एडमिशन से लेकर किताबों का यह खर्च एक अभिभावक पर किस हद तक आर्थिक बोझ डालता है।

    माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से शनिवार को जारी आदेश में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) और मौलिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) को नियमों का पालन नहीं कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

    इन बातों का निदेशालय ने लिया संज्ञान

    जारी आदेश में उल्लिखित है, कुछ निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 तथा हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम एवं विनियमन 2013 तथा पुस्तकों, वर्दी तथा अन्य वस्तुओं की खरीद के संबंध में विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

    इसलिए सभी डीईओ और डीईईओ अपने अधिकार क्षेत्र के विद्यालयों में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। क्योंकि, कोई निजी स्कूल अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों की बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। किताबें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप होनी चाहिए।

    जांच में इन बिंदुओं पर ध्यान देने के निर्देश

    • पुस्तकों की अनिवार्य खरीद: अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों से पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर करना, जिससे लागत बढ़ जाती है।
    • अनावश्यक संदर्भ पुस्तकें: पुरानी या अप्रासंगिक संदर्भ पुस्तकों की संस्तुति करना जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और स्कूली शिक्षा और आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के साथ संरेखित नहीं हैं। स्कूल उपलब्ध आनलाइन ओपन-सोर्स संदर्भ सामग्री पर भी विचार करने में विफल रहे हैं। इसके अलावा, कुछ स्कूल पर्यावरण संबंधी लाभों के बावजूद छात्रों द्वारा प्रयुक्त पुस्तकों के उपयोग को हतोत्साहित कर रहे हैं।
    • बार-बार यूनिफार्म बदलना: बार-बार स्कूल यूनिफ़ार्म बदलना, जिससे अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है। कुछ स्कूल विशिष्ट लोगो वाली यूनिफ़ार्म को अनिवार्य करते हैं, जिससे अभिभावकों को उन्हें निर्धारित विक्रेताओं से बढ़ी हुई कीमतों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
    • पानी की खपत पर प्रतिबंध: स्कूलों में पीने योग्य पानी के प्रावधान को अनिवार्य करने वाले नियमों के बावजूद छात्रों को स्कूल के जल स्रोतों से पीने की अनुमति देने की बजाय पानी की बोतलें ले जाने के लिए मजबूर करना।

    बैग के वजन पर भी अब देना होगा ध्यान

    आदेश में स्पष्ट है स्कूल से संबंधित अतिरिक्त पुस्तकें और अन्य सामान जैसे पानी की बोतलें ले जाने से स्कूल बैग का वजन काफी बढ़ जाता है, जबकि अक्सर इस बात की अनदेखी की जाती है कि स्कूल में बच्चों के लिए क्या-क्या जरूरी है।

    इससे ज्यादा नहीं होना चाहिए बस्ते का बोझ

    कक्षा वजन
    1-2 1.5 किग्रा
    3-5 2-3 किग्रा
    6-7 4 किग्रा
    8-9 4.5 किग्रा
    दसवीं 5 किग्रा

    आदेशों की अनुपालना के साथ भेजनी होगी रिपोर्ट

    आदेशों में, सभी डीईओ और डीईईओ को अपने अधिकार क्षेत्र में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिसमें, किसी भी स्कूल को छात्रों और अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं डालना चाहिए, जिससे उन्हें अनावश्यक किताबें, यूनिफार्म और पानी की बोतलें जैसी अन्य चीजें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़े।

    इन मानदंडों का उल्लंघन करने वाले किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई सहित अनुपालन रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत किए जाने की बात कही गई है।