हरियाणा सरकार का तीन महीने के नोटिस बगैर सेवानिवृत्ति आदेश रद, पुलिस अधिकारी को राहत
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार के उस आदेश को रद कर दिया है जिसमें एक पुलिस अधिकारी रावत सिंह को 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया गया था। अदालत ने पाया कि सरकार ने अनिवार्य नोटिस की आवश्यकता का पालन नहीं किया। सरकार को नियमों के अनुसार नया आदेश पारित करने की स्वतंत्रता है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने वीरवार को हरियाणा सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक पुलिस अधिकारी रावत सिंह को 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट पाया कि हरियाणा सरकार ऐसी कार्रवाई से पहले पंजाब पुलिस नियमों के तहत तीन महीने का नोटिस देने की अनिवार्य आवश्यकता का पालन करने में विफल रही है।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने रावत सिंह द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि 31 जुलाई का विवादित आदेश कानून के अनुसार जारी नहीं किया गया था। सरकार को यह स्वतंत्रता प्रदान की कि यदि वह चाहे तो निर्धारित नियमों के अनुसार नया आदेश पारित कर सकती है। हरियाणा सरकार की ओर से प्रक्रियागत चूक स्वीकार की गई।
याचिकाकर्ता ने संविधान के तहत अदालत का रुख किया था और 31 जुलाई के आदेश को रद करने की मांग की थी, जिसमें 14 अगस्त से उनकी सेवानिवृत्ति का निर्देश दिया गया था। उसे 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने का आदेश दिया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पंजाब पुलिस नियम के अनुसार, सक्षम प्राधिकारी को 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित करने से पहले तीन महीने का नोटिस देना आवश्यक है। आक्षेपित नोटिस 31 जुलाई 2025 को जारी किया गया है और याचिकाकर्ता को 14 अगस्त 2025 से सेवानिवृत्त होने का आदेश दिया गया है, इस प्रकार तीन महीने के नोटिस की आवश्यकता का अनुपालन नहीं हुआ है।
याची का सेवा रिकार्ड अच्छा है और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसे समय से पहले सेवानिवृत्त नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी और राज्य सरकार से मूल फाइल मंगवाई। वीरवार को मामले की अंतिम सुनवाई हुई।
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