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    Haryana News: जनवरी-फरवरी में विभागों के अनाप-शनाप खर्च पर सख्त हुई सरकार, अंकुश लगाने के लिए निकाला ये प्लान

    सरकार ने योजनाओं के लिए आवंटित बजट पर अनाप शनाप खर्च को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। कुल आवंटित बजट में से पहली तिमाही में 25 प्रतिशत दूसरी तिमाही में 20 प्रतिशत तीसरी तिमाही में 25 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 30 प्रतिशत राशि खर्च सकेंगे। हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) भी अपनी रिपोर्ट में बजट के अंधाधुंध इस्तेमाल पर सवाल उठा चुके हैं।

    By Sudhir TanwarEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Thu, 16 Nov 2023 07:04 PM (IST)
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    जनवरी-फरवरी में विभागों के अनाप-शनाप खर्च पर सख्त हुई हरियाणा सरकार।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में सरकारी विभागों द्वारा योजनाओं-परियोजनाओं के लिए स्वीकृत बजट का समय से इस्तेमाल नहीं करने और फिर वित्त वर्ष के अंतिम तीन महीनों में अनाप-शनाप खर्चने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सरकार सख्त हो गई है। वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि सभी विभागों को कुल आवंटित बजट में से पहली तिमाही में 25 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 20 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 25 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 30 प्रतिशत राशि तक खर्च करने की अनुमति दी जाएगी।

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    हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) ने भी अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाए हैं कि आखिर फरवरी-मार्च में अधिकतर विभाग पूंजीगत और राजस्व योजनाओं के तहत अन्य महीनों की तुलना में अधिक व्यय क्यों करते हैं। इससे बजट राशि का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। इस रिपोर्ट पर एक्शन लेते हुए वित्त विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों को निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी तिमाही में निर्धारित बजट को अवश्य इस्तेमाल करें, नही तो बची हुई राशि को अन्य तिमाही में समायोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    सरकारी विभागों की खरीद संबंधी बैठकों में शामिल नहीं होंगे वित्त अधिकारी

    सरकारी विभागों की खरीद संबंधी क्रय समितियों और निविदा समितियों की बैठकों में अब वित्त विभाग के अधिकारी शामिल नहीं होंगे। वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के लिए खरीद समझौतों पर प्रशासनिक सचिवों को अपने स्तर पर ही निर्णय लेना होगा।

    मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में ही वित्त विभाग के अफसर शामिल होंगे। इसके अलावा वित्त विभाग के अधिकारी केवल क्रय समितियों और निविदा समितियों की ऐसी बैठकों में भाग लेंगे, जिनका गठन वित्त विभाग की सहमति से समिति में उनके प्रतिनिधि को शामिल करने के लिए किया गया है।

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