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    'MSP पर खरीद गायब, मंडियों में लुट रहे अन्नदाता', भूपेंद्र हुड्डा का हरियाणा की नायब सरकार पर हल्ला बोल

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 07:10 PM (IST)

    हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य सरकार पर किसानों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी पर धान, बाजरा, मूंग और कपास जैसी फसलों की खरीद नहीं कर रही है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। मंडियों में किसानों की फसलें औने-पौने दामों पर बिक रही हैं और सरकारी एजेंसियां गायब हैं।

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    पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने MSP पर हरियाणा सरकार से मांगा जवाब (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार की भावांतर भरपाई योजना और सरकारी खरीद एजेंसी कहां चली गई।

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    सरकार द्वारा धान, बाजरा, मूंग और कपास जैसी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं किया जा रहा है। किसान स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। मंडियों में किसानों की फसलें औने-पौने दामों पर बिक रही हैं, लेकिन सरकार व एजेंसियां गायब हैं। यह किसानों के साथ विश्वासघात है।

    भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि खाद के लिए लंबी कतारें लगी है। किसान फसल बोने से लेकर बेचने तक मारा मारा फिर रहा है, मगर किसान की सुध लेने का समय सरकार के पास नही है। हुड्डा ने कहा कि नारनौल की मंडियों में बाजरा 1800 से 1850 रुपये प्रति क्विंटल में पिट रहा है, लेकिन सरकारी खरीद एक भी दाने की नहीं हुई।

    नूंह जिले की मंडियों में बाजरे का एक दाना नहीं खरीदा गया। किसानों को 1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर एक पैसा नहीं मिला। हिसार की मंडियों में किसान एमएसपी 2775 प्रति क्विंटल होने के बावजूद नुकसान झेल रहे हैं।

    विपक्ष के नेता ने कहा कि हिसार की मंडियों में 40 हजार टन मूंग पहुंची है, जिसमें से सरकारी एजेंसियों ने एक भी दाना नहीं खरीदा। भिवानी मंडी में भी कपास और बाजरा औने-पौने दामों पर बिक रहे हैं। भिवानी मंडी में कपास 6500 से 7200 प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि एमएसपी 8100 प्रति क्विंटल है। सरकारी खरीद नहीं होने से सिर्फ मिलर ही खरीद कर रहे हैं, जिसका पूरा नुकसान किसानों को हो रहा है।

    हुड्डा ने सवाल उठाया कि बीज बेचते समय तो मानक सही थे, तो फिर फसल बेचने के समय मानक कैसे गड़बड़ा गए? क्या किसान ने अपने घर पर बाजरे की फसल तैयार की? अगर बीज गलत थे, तो किसान घाटा क्यों भुगतें? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को एमएसपी का लाभ देने के वादों पर खरा नहीं उतर रही। भावांतर योजना का नाम लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है।