6 महीने में 12 हजार से अधिक बिजली चोरी के मामले, हरियाणा के इस डाटा ने सबको चौंकाया; अनिल विज ने तुरंत बुलाई बैठक
हरियाणा में बिजली चोरी और लाइन लॉस बढ़ने पर ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए बैठक बुलाई है। एटीएंडसी लॉस में वृद्धि हुई है और वसूली की दर भी कम है। वर्ष 2025-26 में 12 हजार से अधिक बिजली चोरी के मामले पकड़े गए। उपभोक्ताओं पर 7695 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बकाया है जिससे बिजली निगमों की चिंता बढ़ गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में बिजली चोरी तथा लाइन लॉस फिर से बढ़ने लगा है। राज्य के बिजली मंत्री अनिल विज ने बिजली चोरी व लाइन लॉस में बढ़ोतरी को गंभीरता से लिया है और अधिकारियों से जवाबदेही के लिए उनकी बैठक बुला ली है।
बिजली चोरी व लाइन लॉस बढ़ने से बिजली अधिकारियों के हाथ-पांव फूले हुए हैं। एग्रीगेट टेक्निकल एंड कामर्शियल (एटीएंडसी) लॉस को राज्य में लंबे प्रयासों से घटाया गया था, मगर उसमें दोबारा से उछाल आ गया है। बकाया राशि की वसूली करने में अधिकारी कमजोर पड़ रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में औसत एटीएंडसी लॉस 29.31 फीसदी था, जो 2015-16 में 30.02 फीसदी तक पहुंच गया। 2024-25 तक यह घटकर 9.97 फीसदी तक आ गया था। लेकिन चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 (जून तक) में यह बढकऱ 11.06 फीसदी दर्ज हुआ है।
इस समय उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) का नुकसान 8.75 फीसदी और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) नुकसान का 12.67 प्रतिशत है। हरियाणा की बिजली कंपनियों के नुकसान का यह स्तर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
हरियाणा में बिजली चोरी रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए गए हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में 1.78 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के परिसरों की जांच की गई, जिनमें 48 हजार 688 चोरी के मामले सामने आए। इन पर 186 करोड़ 38 लाख 99 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। मगर वसूली केवल 93 करोड़ 65 लाख 21 हजार रुपये की हो पाई।
चोरी पकडऩे के बावजूद वसूली दर मात्र 50.25 फीसदी ही रही। वित्त वर्ष 2025-26 (जून तक) में 52 हजार 630 परिसरों की जांच में 12 हजार 398 मामले बिजली चोरी के पकड़े गए। इन पर 49 करोड़ 25 लाख 21 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया, लेकिन वसूली सिर्फ 57 फीसदी तक ही सीमित रही।
बिजली चोरी के आरोप में वर्ष 2016 में 22 हजार 633 और 2017 में 95 हजार 407 मामले दर्ज करवाए गए। 2020 में 62 हजार 605, 2021 में 65 हजार 328 और 2022 में 82 हजार 87 एफआइआर दर्ज की गई। वर्ष 2025 में (जुलाई तक) 32 हजार 59 मामले दर्ज हो चुके हैं। बिजली चोरी के अलावा उपभोक्ताओं के बकाया ने भी बिजली कंपनियों की नींद खराब कर रखी है।
जून 2025 तक दोनों निगमों पर कुल 7695 करोड़ रुपये से अधिक की डिफाल्टिंग राशि बकाया है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता सबसे बड़े डिफाल्टर हैं। अकेले इस श्रेणी में 11 लाख से अधिक उपभोक्ताओं पर 4400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। औद्योगिक और सरकारी विभागों की देनदारियां भी समस्या को गहरा कर रही हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।