Haryana Result 2024: BJP सरकार में मंत्री बनने की लॉबिंग, इन समीकरणों से मिलेगी कुर्सी, इस बार नहीं होंगे डिप्टी CM
हरियाणा में नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों में मंत्री पद की दौड़ शुरू हो गई है। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर मं ...और पढ़ें

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में नई सरकार के गठन की तैयारियों के बीच भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों में मंत्री पद की लाबिंग शुरू हो गई है। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर मंत्री बनाए जा सकते हैं। भाजपा के 48 विधायक हैं, जो कि बहुमत के आंकड़े 46 से दो अधिक हैं।
तीन निर्दलीय विधायकों हिसार से सावित्री जिंदल, गन्नौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून ने भी बुधवार को भाजपा को बिना शर्त समर्थन दे दिया है।
देवेंद्र कादियान और राजेश जून ने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री एवं विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान तथा सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात की, जबकि सावित्री जिंदल और उनके बेटे भाजपा सांसद नवीन जिंदल से उनके आवास पर केंद्रीय मंत्री जाकर मिले। अब विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 51 हो गई है।
कौन होंगे मंत्रिमंडल में शामिल
भाजपा इस बार सरकार में उपमुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। पिछली बार जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 विधायकों का समर्थन लेने की मजबूरी के चलते भाजपा को दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। इस बार भाजपा के अधिकतर नये चेहरे चुनावी रण में जीतकर आए हैं, जबकि पुराने चेहरों को प्रदेश की जनता ने नकार दिया है।
नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने पर उनके मंत्रिमंडल में मंत्री पद के लिए सबसे बड़ी दावेदारी फरीदाबाद के विधायक विपुल गोयल (वैश्य) और बादशाहपुर के विधायक राव नरबीर (अहीर) की है।
क्या है बीजेपी की रणनीति
साल 2019 में विपुल गोयल और राव नरबीर के मंत्री रहते हुए टिकट काट दिए गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में साल 2014 में बनी सरकार में विपुल गोयल उद्योग मंत्री और राव नरबीर पीडब्ल्यूडी मंत्री थे।
अहीरवाल में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत अटेली से चुनाव जीती अपनी बेटी आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन इसका संभावना ज्यादा नहीं है। नारनौल से चुनाव जीते पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव (अहीर) और बावल से चुनाव जीते डा. कृष्ण कुमार (दलित) की दावेदारी भी मजबूत है।
क्या है अनिल विज का अगला कदम
इन दोनों की गिनती राव इंद्रजीत समर्थकों में होती है। पंजाबी मंत्रियों में अंबाला छावनी से सातवीं बार चुनाव जीते पूर्व गृह मंत्री अनिल विज को इस बार मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। अनिल विज पिछले काफी समय से नाराज हैं और उन्होंने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोंकी थी।
जातीय समीकरणों के हिसाब से जींद के विधायक कृष्ण मिढा (पंजाबी), इसराना से चुनाव जीते राज्यसभा सदस्य कृष्ण पंवार (दलित) और नरवाना से चुनाव जीते पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार बेदी (वाल्मीकि) की दावेदारी मंत्री पद के लिए प्रबल बन रही है।
ये भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल
ब्राह्मण के मंत्री बनने की स्थिति में बल्लभगढ़ से चुनाव जीते पूर्व उद्योग मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा की मंत्री पद के लिए दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकेगा।
हालांकि, गोहाना से चुनाव जीते रोहतक, सोनीपत व करनाल के पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है। जाट मंत्रियों के रूप में पानीपत ग्रामीण से चुनाव जीते पूर्व मंत्री महिपाल सिंह ढांडा, महिला व जाट प्रतिनिधि के रूप में राई से चुनाव जीती कृष्णा गहलावत भी मंत्री पद की दौड़ में आगे हैं।
इनको मिल सकता है मौका
हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे बरवाला के विधायक रणबीर गंगवा को बैकवर्ड होने का लाभ मिल सकता है, जबकि घरौंडा के तीसरी बार विधायक बने हरविंद्र कल्याण (रोड) को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल के साथ-साथ पंजाबी प्रतिनिधि के रूप में सीमा त्रिखा के स्थान पर बड़खल से चुनाव जीते धनेश अदलखा अपने राजनीतिक प्रयासों को मंत्री पद के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

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