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    Haryana Result 2024: आदमपुर में टूटा 56 साल पुराना भजन लाल का गढ़, श्रुति की जीत से बंसी परिवार को मिली 'संजीवनी'

    Updated: Tue, 08 Oct 2024 09:11 PM (IST)

    इनेलो को तोड़कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) बनाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना में जमानत भी नहीं बचा सके और पांचवें स्थान पर रहे। सिरसा के डबवाली में आदित्य चौटाला (इनेलो) जीते हैं जबकि चौटाला परिवार के अन्य दो सदस्य दिग्विजय सिंह चौटाला (जजपा) और पूर्व विधायक अमित सिहाग (कांग्रेस) हार गए। कई दिग्गज को हार का सामना करना पड़ा।

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    Haryana Result 2024: श्रुति की जीत से बंसी परिवार को मिली 'संजीवनी'।

    सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में तीनों मशहूर लाल परिवारों का वर्चस्व और कम हुआ है। विधानसभा चुनाव में पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के परिवार के सिर्फ दो सदस्य जीते हैं, जबकि पिछली बार इस परिवार के पांच सदस्य विधानसभा पहुंचे थे। हिसार का आदमपुर पिछले 56 साल से पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल का अभेद गढ़ था, जो कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य (भाजपा) की हार के साथ ढह गया।

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    हालांकि, भजन लाल के बड़े बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन बिश्नोई ने परिवार की लाज बचाई जो पंचकूला में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को हराकर विधानसभा पहुंच गए। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसी की पौत्री श्रुति चौधरी (भाजपा) की जीत ने परिवार को संजीवनी का काम किया है। 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में देवी लाल परिवार के आठ सदस्य चुनाव मैदान में थे।

    तीसरे स्थान पर रहे रणजीत चौटाला

    सिरसा के रानियां में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणजीत सिंह चौटाला अपने ही छोटे भाई एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) प्रत्याशी अर्जुन चौटाला से हार गए। यहां कांग्रेस प्रत्याशी सर्वमित्र कांबोज दूसरे स्थान पर रहे, जबकि पूर्व बिजली और जेल मंत्री रणजीत चौटाला को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।

    इनेलो को तोड़कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) बनाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना में जमानत भी नहीं बचा सके और पांचवें स्थान पर रहे। सिरसा के डबवाली में आदित्य चौटाला (इनेलो) जीते हैं, जबकि चौटाला परिवार के अन्य दो सदस्य दिग्विजय सिंह चौटाला (जजपा) और पूर्व विधायक अमित सिहाग (कांग्रेस) हार गए।

    इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के बेटे पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद में कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल से हार गए तो परिवार की बहू सुनैना चौटाला (इनेलो) फतेहाबाद में हार गईं।

    कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं रणजीत चौटाला

    चौदहवीं विधानसभा में देवी लाल परिवार के पांच सदस्य पहुंचे थे, जिनमें दुष्यंत चौटाला गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री और रणजीत सिंह चौटाला कैबिनेट मंत्री बने थे। इसी तरह दुष्यंत की माता नैना चौटाला (जजपा), चाचा अभय चौटाला (इनेलो) और अमित सिहाग (कांग्रेस) विधायक बने थे।

    श्रुति संभालेंगी बंसी परिवार की राजनीतिक विरासत बंसी लाल परिवार की बात करें तो भिवानी में तोशाम विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी और स्वर्गीय बंसी लाल की पौत्री श्रुति चौधरी (सांसद किरण चौधरी की बेटी) का अपने ही चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी (कांग्रेस) से मुकाबला था।

    श्रुति चौधरी को मिली जीत

    2009 से 2014 के बीच महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस की सांसद रह चुकी श्रुति का टिकट कांग्रेस ने लगातार दो हार के बाद पिछले लोकसभा चुनाव में काट दिया था। इसके बाद किरण चौधरी और श्रुति भाजपा में शामिल हो गईं। किरण चौधरी राज्यसभा जा चुकी हैं, जबकि तोशाम के मतदाताओं ने अनिरुद्ध को हराकर श्रुति को चौधरी बंसी लाल की राजनीतिक विरासत सौंपने पर मुहर लगा दी।

    राजनीतिक हाशिये पर गए चंद्रमोहन मुख्यधारा में लौटे

    पिछली विधानसभा में भजन लाल के भतीजे दूड़ा राम (फतेहाबाद) और पौत्र भव्य बिश्नोई (आदमपुर) भाजपा के विधायक बने थे। आदमपुर में 56 साल से भजन परिवार जीतता आ रहा था, लेकिन इस बार रिटायर्ड आइएएस चंद्र प्रकाश (कांग्रेस) ने उन्हें शिकस्त दे दी।

    दूड़ा राम भी फतेहाबाद में कांग्रेस के बलवान सिंह दौलतपुरिया से हार गए। परिवार के लिए राहत की बात यह कि पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को हराकर विधानसभा पहुंच गए हैं। वर्ष 2008 में चांद मोहम्मद बनकर अनुराधा बाली उर्फ फिजा से शादी करने के बाद चंद्रमोहन राजनीतिक रूप से हाशिये पर चले गए थे।

    कालका से चार बार विधायक बनने वाले चंद्रमोहन बिश्नोई को कांग्रेस ने 2009 और 2014 में टिकट नहीं दिया, जबकि पिछला चुनाव वह ज्ञानचंद गुप्ता से हार गए थे। मौजूदा विधानसभा चुनाव में जीत से चंद्रमोहन को राजनीतिक संजीवनी मिली है।