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    Haryana Election 2024: कौन हैं कांग्रेस की तिकड़ी, जिसे पार्टी ने उतारी चुनावी रण में, इन कामों को पूरा करने की दी बड़ी जिम्मेदारी

    Haryana Election 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अजय माकन अशोक गहलोत और प्रताप सिंह बाजवा की तिकड़ी उतार दी है। इन तिकड़ी को कई बड़ी जिम्मेदारी दी है। चुनाव प्रबंधन चुनाव कैंपेन और सीएम का चेहरा तय करने तक की जिम्मेदारी दी है। तीनों वरिष्ठ पर्यवेक्षकों के लिए नाराज बागियों को मनाने की भी बड़ी चुनौती है।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 15 Sep 2024 02:04 PM (IST)
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    Haryana Election 2024: कांग्रेस ने चुनावी रण में उतारी तिकड़ी, दे दी बड़ी जिम्मेदारी।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांटे की टक्कर, पार्टी के शीर्ष नेताओं में अंदरूनी गुटबाजी और टिकट वितरण के बाद असंतुष्टों की बगावत को देख कांग्रेस ने हरियाणा के चुनावी रण में वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की तिकड़ी को उतारा है। ये तीन दिग्गज राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा हैं।

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    पार्टी आलाकमान ने इन्हें चुनाव प्रबंधन, कैंपेन से लेकर चुनाव घोषणा पत्र तैयार कराने और सरकार गठन की स्थिति में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने तक की जिम्मेदारी सौंपी है। चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद गुटबाजी बढ़ी है। चुनाव के बीच मची कलह को देखते हुए हाईकमान सक्रिय हुआ है। पार्टी ने टिकट वितरण में इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भरोसा जताया है।

    हर पहलू पर नजर रखेंगे वरिष्ठ पर्यवेक्षक

    कांग्रेस के घोषित 89 उम्मीदवारों में 72 हुड्डा गुट के प्रभाव वाले हैं। ऐसी सूरत में पार्टी महासचिव और सांसद कुमारी सैलजा तथा रणदीप सुरजेवाला गुट की नाराजगी कहीं पार्टी का नुकसान न करे, इस पर हाईकमान नजर रखेगा। इसके अलावा हुड्डा गुट के लोगों पर सैलजा समर्थकों वाली सीटों पर भी कामकाज की निगरानी की जाएगी। वरिष्ठ पर्यवेक्षक चुनाव के दौरान हर पहलू पर नजर रखेंगे।

    नेताओं के बीच मतभेद को खत्म करना होगा

    जिन सीटों पर बगावत हो रही है, उन सीटों के बागी नेताओं से मुलाकात कर उन्हें मनाने की जिम्मेदारी होगी। पर्यवेक्षकों की कमेटी यह भी तय करेगी कि कमजोर सीटें कौन-कौन सी हैं और उन्हें जीतने के लिए क्या करने की जरूरत है। साथ ही तीसरा सबसे महत्वपूर्ण काम पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चल रहे मतभेद को खत्म कराना होगा।

    कैप्टन की हुड्डा से नहीं बनती

    प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद लोकसभा चुनाव में भी खुलकर सामने आए थे, जब भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई।

    किरण चौधरी अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गई हैं। गुरुग्राम और रेवाड़ी में लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं, मगर हुड्डा से उनकी कुछ खास नहीं बनती।

    एसआरबी की हुड्डा से दूरी

    इसी तरह कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह जैसे नेता हुड्डा गुट से दूरी बनाए रहते हैं। कांग्रेस को अगर बहुमत मिलता है तो पूर्व हुड्डा मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार होंगे। कुमारी सैलजा भी दावेदार हैं, लेकिन उनके सिर्फ 12 उम्मीदवारों को ही टिकट मिल पाया है।

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