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    हरियाणा चुनाव में बढ़ा यूपी के दलों का दखल, इन पार्टियों के साथ किया गठबंधन, अखिलेश यादव मांग रहे 5 सीट

    Updated: Fri, 30 Aug 2024 09:15 AM (IST)

    Haryana Election 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ गई है। उत्तर प्रदेश की पार्टियां इस बार हरियाणा की राजनीति अपनी दखल बढ़ा दी हैं। सपा बसपा आजाद समाज पार्टी राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख रूप से सक्रिय हो गई है। 2019 दुष्यंत चौटाला ने अपने पहले ही चुनाव में विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई।।

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    हरियाणा चुनाव में में बढ़ा उत्तर प्रदेश के दलों का दखल, गठबंधन के साथ लड़ रहे चुनाव।

    सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में इस बार के चुनाव में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों का दखल बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के इन दलों के सहारे सत्ता में वापसी की कोशिश में जहां पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल द्वारा गठित इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने विधानसभा चुनाव के लिए कुमारी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन किया है। 

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    वहीं देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने उत्तर प्रदेश के नगीदा से सांसद चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को ढाल बनाया है। इसी तरह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह के बेटे तथा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के बीच गठबंधन को लेकर बात चल रही है।

    बसपा के साथ इनेलो

    कांग्रेस अकेले चुनावी रण में उतरना चाहती है, लेकिन आइएनडीआइए गठबंधन के नाते अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) ने हरियाणा में पांच विधानसभा सीटों पर दावेदारी ठोंकी है। यह सीटें यादव और मुस्लिम बाहुल्य हैं। इनेलो हरियाणा में सत्ता से 19 साल से दूर है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश में सबसे अधिक पांच बार मुख्यमंत्री बने हैं। सत्ता में वापसी के लिए इनेलो ने तीसरी बार बसपा से समझौते का दांव खेला है।

    जाट और दलित समीकरण बनाने की तैयारी

    गठबंधन में 53 सीटों पर इनेलो चुनाव लड़ेगा और बसपा 37 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। दोनों दलों की रणनीति जाट और पिछड़ा वर्ग समुदाय के गठजोड़ से नए समीकरण बनाकर सत्ता में निर्णायक भूमिका में आने की है।

    2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चौटाला परिवार में मतभेदों के चलते इनेलो से अलग होकर नई पार्टी जजपा बनाने वाले देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला ने अपने पहले ही चुनाव में विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई।

    साढ़े नौ साल तक उपमुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला ने अब आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से चुनावी समझौता किया है। 70 सीटों पर जजपा और 20 सीटों पर आजाद समाज पार्टी चुनाव लड़ेगी। आजाद समाज पार्टी ने राजस्थान में नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

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    अखिलेश यादव मांग रहे पांच सीट

    चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दम ठोक रहे हैं, लेकिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कांग्रेस आलाकमान पर पांच सीटें देने का दबाव बनाए हुए हैं।

    आइएनडीआइए गठबंधन के नाते कांग्रेस आलाकमान सपा को तीन-चार सीटें दे सकता है, लेकिन कांग्रेस का राज्य स्तरीय नेतृत्व अभी इसके लिए राजी नहीं हुआ है।

    रोटी-बेटी का नाता

    24 सीटों पर प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश का हरियाणा से रोटी-बेटी का नाता है। आपस में रिश्तेदारियों के चलते यमुना नदी के साथ लगते यमुनानगर, पानीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जिलों के साथ ही गुरुग्राम और भिवानी सहित विभिन्न जिलों की लगभग दो दर्जन विधानसभा सीटें यूपी से प्रभावित होती हैं। इसके अलावा हरियाणा का ब्रज एरिया भी उत्तर प्रदेश से सटा है, जिनकी दोनों राज्यों में रिश्तेदारियां हैं।

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