डॉक्टरों की हैंडराइटिंग देख अब नहीं चकराएगा सिर, स्लिप पर कैपिटल लेटर में लिखकर देंगे दवाई का नाम, आदेश जारी
हरियाणा में अब डॉक्टरों को पर्ची पर दवा का नाम बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं। यह नियम सरकारी और निजी सभी अस्पतालों पर लागू होगा। इस नियम से मरीजों को दवाइयों और बीमारी का नाम समझने में आसानी होगी।

राज्य ब्यूरो, पंचूकला। हरियाणा में अब सरकारी अस्पताल हो या निजी नर्सिंग होम और क्लीनिक, डॉक्टरों को साफ और स्पष्ट शब्दों में पर्ची पर नुस्खा (दवाई का नाम) लिखना होगा।
अंग्रेजी के कैपिटल लेटर यानी कि बड़े अक्षरों में उपचार और दवा का नाम लिखना अनिवार्य किया गया है, जिसे मरीज भी आसानी से पढ़ और समझ सकें।
इससे मरीजों और उनके तीमारदारों को आसानी से पता चल सकेगा कि मरीज को क्या बीमारी है और उनका क्या इलाज किया जा रहा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक ने सभी सिविल सर्जनों को आदेश का सख्ती से पालन कराने के लिए निर्देश जारी किए हैं। साथ ही निजी अस्पतालों में नई व्यवस्था लागू कराने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की जिम्मेदारी लगाई गई है।
दवाई और बीमारी का नाम समझने में नहीं होगी दिक्कत
प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में चंडीगढ़ के अस्पतालों की तर्ज पर कंप्यूटर से पर्ची लिखने की प्रणाली शुरू करने की भी तैयारी है, जिससे दवा और बीमारी का नाम समझने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।
अभी तक अधिकतर डॉक्टरों द्वारा पर्ची पर दवा और उपचार का नाम इस तरीके लिखा जाता है कि मरीज तो क्या, दवा विक्रेता भी आसानी से नहीं समझ पाते।
इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 27 अगस्त को आदेश जारी करते हुए कहा था कि डॉक्टर अनिवार्य रूप से साफ और स्पष्ट अक्षरों में नुस्खे लिखें, ताकि मरीज उन्हें आसानी से पढ़ सकें।
यह मरीजों के जीवन के अधिकार का हिस्सा है। जब तक कंप्यूटर आधारित प्रणाली पूरी तरह से लागू नहीं हो जाती, तब तक डॉक्टर कैपिटल और बोल्ड अक्षरों में दवाई का नाम लिखें।
सिविल सर्जनों को भेजा गया आदेश
हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखावट पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे आश्चर्यजनक और भयावह तक बताया है। स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से हाई कोर्ट का विस्तृत आदेश सभी सिविल सर्जनों को भेजा गया है, ताकि इसे अक्षरश: लागू कराया जा सके।
फैसले में कहा गया है कि मरीजों को अपनी बीमारी और इलाज को समझने का अधिकार है जो उनके जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का हिस्सा है। स्पष्ट लिखावट से दवाइयों के नाम सही ढंग से पढ़े जा सकेंगे और गलतियों से बचा जा सकेगा। इससे मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
डॉक्टरों को किया जाएगा जागरूक
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कंप्यूटर से पर्चे लिखने की व्यवस्था को लागू करने के लिए एक पालिसी बनाने और इस प्रणाली को अपनाने वाले डॉक्टरों को वित्तीय सहायता देने का भी सुझाव दिया है। डॉक्टरों को नए आदेश के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।