हरियाणा में DGP के कार्यकाल को लेकर विरोधाभास जारी, क्या कहता है कानून?
हरियाणा में DGP के कार्यकाल को लेकर विरोधाभास जारी है, जिससे अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। कानून क्या कहता है, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। राज्य सरका ...और पढ़ें

हरियाणा में DGP के कार्यकाल को लेकर विरोधाभास जारी (File Photo)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पुलिस महानिदेशक के कार्यकाल को लेकर विरोधाभास की स्थिति पैदा हो गई है। हरियाणा पुलिस कानून 2007 कहता है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक का न्यूनतम नहीं, बल्कि अधिकतम कार्यकाल दो साल का होना चाहिये। इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि पुलिस महानिदेशक का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष का होना चाहिए, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति कभी भी हो।
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह की पुलिस सुधारों पर दी गई रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के यह निर्देश दे रखे हैं। इस राज्य के पुलिस कानून में संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है। हरियाणा सरकार ने दिसंबर 2018 में राज्य पुलिस कानून 2007 की धारा छह में संशोधन भी किया था, लेकिन पुराने प्रविधानों को नहीं बदला गया था।
दो साल का भी हो सकता है कार्यकाल
प्रदेश सरकार यदि स्थायी पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के बाद राज्य पुलिस कानून 2007 का अनुपालन करती है तो उनका अधिकतम कार्यकाल दो साल का होगा। यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पुलिस महानिदेशक को काम करने का मौका प्रदान करती है तो उनका कार्यकाल न्यूनतम दो साल होगा।
इस स्थिति में यदि कोई पुलिस महानिदेशक अपने कार्यकाल से पहले रिटायर भी हो रहा होगा तो वह अपने पद पर बना रहेगा। हरियाणा के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।
हरियाणा पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन बनाए गए निवर्तमान डीजीपी शत्रुजीत कपूर करीब सवा दो वर्ष तक इस पद पर रहे। उनकी रिटायरमेंट 31 अक्टूबर 2026 को है। इस बीच प्रदेश के अगले नियमित पुलिस महानिदेशक के चयन के लिए पांच आइपीएस अधिकारियों का पैनल केंद्रीय लोक सेवा आयोग के पास जाने वाला है।

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