विवादों के बीच हरियाणा के DGP मनोज यादव ने फिर केंद्र में मांगी तैनाती, 5 IPS पद की दौड़ में
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव अब राज्य में रहना नहीं चाहते। उन्होंने गृह सचिव को पत्र लिखकर वापस इंटेलिजेंस ब्यूरो में जाने की इच्छा जताई है। इस संबंध में डीजीपी मनोज यादव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। गृह मंत्री अनिल विज के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद और अंबाला रेंज के आइजी वाई पूर्ण कुमार के साथ चल रही तनातनी के बीच पुलिस महानिदेशक मनोज यादव अब वापस केंद्र में लौटना चाहते हैं। डीजीपी ने गृह सचिव राजीव अरोड़ा को पत्र लिखकर उनकी सेवाएं केंद्र में इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) को सौंपने की मांग की है। वर्ष 1988 बैच के आइपीएस मनोज यादव को वर्ष 2003 में इंटेलीजेंस ब्यूरों में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात किया गया था।
16 वर्षों तक आइबी में विभिन्न पदों पर रहने के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें 19 फरवरी 2019 को वापस बुला लिया और दो साल के लिए पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात कर दिया। मनोज यादव का कार्यकाल पूरा होने के बाद गृहमंत्री अनिल विज इस पद पर अन्य आइपीएस अधिकारी को चाहते थे, लेकिन सरकार ने विज की सिफारिशों के उलट जाकर मनोज यादव को आगामी आदेशों तक सेवा विस्तार दे दिया।
विगत दो मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश सरकार की सिफारिशों को मानते हुए मनोज यादव की प्रतिनियुक्ति अवधि को बढ़ा दिया था। इस बीच, गृहमंत्री अनिल विज ने मनोज यादव की एक्सटेंशन पर आपत्ति जताते हुए उनके स्थान पर अन्य आइपीएस की तैनाती की मांग कर डाली। विज ने बाकायदा तीन आइपीएस अधिकारियों का पैनल तक बनाने की सिफारिश करते हुए तीन अप्रैल तक मनोज यादव को हटाने की मांग की थी।
गृहमंत्री और डीजीपी के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी चलती रही है। वहीं, आइपीएस वाई पूर्ण कुमार और डीजीपी का विवाद अभी भी चल रहा है। इस मामले में गृह सचिव राजीव अरोड़ा ने डीजीपी मनोज यादव, वर्तमान आइजी अंबाला और एसपी अंबाला को पत्र लिखकर अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही यह भी पूछा है कि अभी तक आइजी की शिकायत पर केस दर्ज क्यों नहीं हुआ है।
इस विवाद के चलते मंगलवार को पुलिस महानिदेश मनोज यादव ने हरियाणा के गृह सचिव को एक पत्र लिखकर उनकी सेवाएं वापस आइबी को देने की मांग की है। मनोज यादव ने एक ट्वीट करके कहा कि पिछले 28 महीनों से वह हरियाणा के नागरिकों की सेवा में डीजीपी के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। वर्तमान में अपने करियर और पारिवारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अगला कार्यकाल आइबी में पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय से आग्रह किया है कि आइबी में बतौर अतिरिक्त निदेशक उनकी सेवाएं बहाल की जाएं। डीजीपी के इस पत्र से हरियाणा की ब्यूरोक्रेसी में एक बार फिर से हलचल शुरू हो गई है।
पांच आइपीएस डीजीपी बनने की दौड़ में
वर्तमान में पांच आइपीएस डीजीपी बनने की दौड़ में हैं। इनमें 1988 बैच के पीके अग्रवाल, 1989 बैच के मोहम्मद अकील और आरसी मिश्रा तथा 1990 बैच के शत्रुजीत कपूर और देश राज सिंह शामिल हैं। 1991 बैच के आलोक कुमार राय और एसके जैन भी हालांकि आइपीएस में 30 वर्ष की सेवा पूरे कर चुके हैं, परंतु उन्हें अभी तक डीजीपी रैंक में प्रमोट नहीं किया गया है।
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1984 बैच के एसएस देसवाल और 1986 बैच के केके सिंधु दोनों इसी साल अगस्त में रिटायर हो जाएंगे, इसलिए दोनों की डीजीपी पद पर दावेदारी कम है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा योग्य आइपीएस अधिकारियों के बनाए गए पैनल में से प्रदेश सरकार अपनी पसंद के अधिकारी को डीजीपी तैनात कर सकती है।