Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट ने डीजीपी हरियाणा का आदेश रद किया, पुलिस अधिकारी की पदावनति पर रोक, एक साल की वेतन वृद्धि रोकने को सही माना

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:49 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस के अधिकारी सुखदेव सिंह की पदावनति की सजा को रद कर दिया है। अदालत ने केवल एक साल की वेतन वृद्धि रोकने की सजा को सही माना। सुखदेव सिंह पर आरोप था कि उन्होंने एक देह व्यापार में लिप्त महिला को संरक्षण दिया था जिसके बाद उन्हें पदावनत किया गया था।

    Hero Image
    हाईकोर्ट ने एक साल की वेतन वृद्धि रोकने की अस्थायी सजा बरकरार रखी।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए हरियाणा पुलिस के अधिकारी सुखदेव सिंह को दी गई पदावनति (रिडक्शन इन रैंक) की सजा को रद कर दिया और उसकी जगह एक साल की वेतन वृद्धि रोकने की अस्थायी सजा बरकरार रखी। यह मामला करीब 12 साल से अदालत में चल रहा था। कुरुक्षेत्र निवासी सुखदेव सिंह ने 2020 में दायर याचिका के ज़रिए 14 मई 2018 को हरियाणा पुलिस महानिदेशक द्वारा दी गई सजा को चुनौती दी थी। दरअसल, उन्हें विभागीय जांच में दोषी ठहराते हुए सब-इंस्पेक्टर से असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर पद पर भेज दिया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं, इससे पहले 2013 में सुखदेव सिंह ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस समय कोर्ट ने 19 मई 2017 को आदेश दिया था कि उनके मामले पर दो अन्य सह-अभियुक्त पुलिसकर्मियों के मामलों की तरह विचार किया जाए। उन मामलों में पुलिस महानिदेशक ने दोषियों की बर्खास्तगी की सजा को कम कर दिया था। हालांकि, 2018 में पुलिस महानिदेशक ने फिर से सुखदेव सिंह की पदावनति की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उन्होंने दोबारा कोर्ट का रुख किया।

    राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि सुखदेव सिंह और कई अन्य पुलिस अधिकारी एक महिला को संरक्षण दे रहे थे। नीशा तलवार उर्फ मंजू की इस महिला पर देह व्यापार में शामिल होने का आरोप था। इस वजह से पुलिस विभाग की छवि खराब हुई। लगभग बीस पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई थी। इनमें से कुछ को बर्खास्त किया गया और कुछ को चेतावनी या वेतन कटौती जैसी सजा दी गई।

    याचिकाकर्ता के वकील कर्मवीर सिंह बनयाना ने दलील दी कि सुखदेव सिंह को सह-अभियुक्तों की तरह केवल एक साल की वेतन वृद्धि रोकने की सजा मिलनी चाहिए थी, न कि पदावनति। जस्टिस जगमोहन बंसल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि पुलिस महानिदेशक ने 2017 के कोर्ट आदेश का सही पालन नहीं किया।

    अदालत ने माना कि जब सह-अभियुक्तों की बड़ी सज़ाएं कम कर दी गई थी तो सुखदेव सिंह पर पदावनति लागू रखना उचित नहीं है। अदालत ने निचली सजा को पूरी तरह रद करते हुए कहा कि अब याचिकाकर्ता पर केवल एक साल की वेतन वृद्धि रोकने का दंड लागू होगा। इस फैसले से सुखदेव सिंह को राहत मिली है और लंबे समय से चल रहे विवाद का पटाक्षेप हुआ।