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    हरियाणा में अंग्रेजों का कानून खत्म, अब चुनाव और खेलों में सट्टा लगाया तो जाना होगा जेल; CM सैनी ने पेश किया बिल

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 10:42 AM (IST)

    हरियाणा सरकार ने 158 साल पुराने सट्टेबाजी कानून को खत्म कर नया विधेयक पेश किया है। हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक 2025 के तहत मैच फिक्सिंग चुनाव या खेलों में सट्टेबाजी करने वालों को सख्त सजा और जुर्माना का प्रावधान है। विधेयक में सट्टेबाजी के मामलों की अलग-अलग श्रेणियां परिभाषित की गई हैं और पुलिस को भी व्यापक अधिकार दिए गए हैं।

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    सीएम सैनी ने पेश किया सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक 2025। (File Photo)

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा की नायब सरकार ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे सट्टेबाजी से जुड़े पुराने कानून को खत्म कर दिया है। 158 वर्ष पुराने 1867 में बनाए गए कानून की जगह अब हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक 2025 लेगा।

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    मंगलवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। बजट सत्र के अगले दिनों में चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा। इसके बाद हरियाणा में यह सख्त कानून लागू होगा।

    मैच फिक्सिंग, चुनाव या खेलों में सट्टेबाजी अथवा स्पॉट फिक्सिंग करने वाले लोगों तथा सिंडिकेट से सख्ती से निपटने के प्रविधान विधेयक में किए गए हैं। इसमें एक बार पकड़े जाने और बार-बार वही अपराध करने पर एक से लेकर सात साल तक की सजा का प्रविधान रहेगा। साथ ही, मोटा जुर्माना भी लगाया जाएगा।

    विधि आयोग कर चुका है निरस्त करने की सिफारिश

    1867 से चले आ रहे पुराने कानून को निरस्त करने की सिफारिश भारत के विधि आयोग द्वारा की जा चुकी है।अंग्रेजों के समय बनाया गया कानून अब हरियाणा ही नहीं पूरे देश में इसलिए औचित्यहीन हो गया है, क्योंकि अब सिस्टम काफी बदल गया है।

    अब कंप्यूटर, मोबाइल फोन सहित दूसरी कई ऐसी आधुनिक सुविधाएं व उपकरण हैं, जिनके जरिये मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग तथा खेलों व चुनाव पर सट्टा लगाया जाता है।

    सरकार का मानना है कि सट्टेबाजी करने वाले सिंडिकेट आम जनता के पैसों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उनसे निपटने के लिए कड़ा कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। राज्यों को अपने कानून बनाने के अधिकार दिए हुए हैं। इसकी पहल करते हुए नायब सरकार ने यह विधेयक पेश किया है।

    सट्टेबाजी के मामलों की बनी हैं अलग-अलग श्रेणियां

    सट्टेबाजी के मामलों की अलग-अलग श्रेणी विधेयक में परिभाषित की गई है। पहली बार अपराध करने पर सामान्य सजा और जुर्माना होगा। दूसरी बार या दो से अधिक बार वही अपराध करने के मामलों में सजा बढ़ेगी। अधिकतम सात साल तक की सजा इस तरह के मामलों में हो सकेगी।

    पांच लाख तक का जुर्माना भी इस विधेयक के अनुसार लगाया जाएगा। इस कानून में पुलिस को भी बड़े अधिकार दिए गए हैं। सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी ही इस तरह के मामलों की जांच कर सकेंगे।

    पुलिस अधिकारी बिना वारंट कर सकेंगे गिरफ्तार

    इस मामले में कार्यकारी मजिस्ट्रेट या राजपत्रित पुलिस अधिकारी सट्टेबाजी की विश्वसनीय सूचना मिलने के बाद सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को किसी स्थान पर प्रवेश करने या सट्टेबाजी में शामिल लोगों की तलाशी लेने के लिए अधिकृत कर सकेंगे। पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकेंगे। मौके से नकदी व अन्य सामग्री भी जब्त हो सकेगी।

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