पराली जलाने वाले किसान हो जाएं सावधान! हरियाणा सरकार ने दे दिए ये आदेश, नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई
उत्तर भारत में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को लेकर हरियाणा सरकार सख्त हो गई है। पलवल नूंह जैसे जिलों में निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज होगी और मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल में रेड एंट्री की जाएगी जिससे किसान दो साल तक सरकारी मंडी में फसल नहीं बेच पाएंगे।

राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हर वर्ष सितंबर से नवंबर के बीच उत्तर भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाता है। इसकी एक बड़ी वजह धान की फसल मशीन से कटाई करने के बाद फसल अवशेष (पराली) खेतों में ही जला देना है।
हरियाणा सरकार इसे रोकने के लिए सख्त हो गई है। पलवल, नूंह तथा गुरुग्राम के अलावा रेवाड़ी और झज्जर के कई किसानों ने पिछले साल पराली जलाई थी। पलवल में डेढ़ सौ से अधिक मामले दर्ज हुए थे। इस बात को देखते हुए मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इन जिलों के उपायुक्तों को आगाह किया है।
मुख्य सचिव की ओर से कहा गया है कि प्रोटेक्शन फोर्स रात में निगरानी करे और पिछले साल के रिकार्ड और भूमि की जानकारी अभी से जुटा ले, जिससे पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जा सके।
प्रदेश सरकार ने पराली दहन रोकने के लिए कई योजनाएं और जागरूकता शिविर चलाए हैं। किसानों के लिए जीरो बर्निंग का लक्ष्य रखा गया है।
पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जुर्माने के अलावा मेरी फसल- मेरा ब्योरा पोर्टल के रिकार्ड में रेड एंट्री की जा रही है।
रेड एंट्री होने पर किसान दो साल तक सरकारी मंडी में फसल नहीं बेच पाएगा। पलवल तथा नूंह के तराई क्षेत्र में इस बार भी कई हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल लगाई गई है। प्रशासन गांव के सरपंच के संपर्क में भी रहेगा और उन्हें अपनी निगरानी तंत्र का हिस्सा बनाएगा।
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