Updated: Thu, 19 Jun 2025 09:18 PM (IST)
कांग्रेस ने फैसला किया है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा जिलाध्यक्षों के चयन के बाद ही होगी। राहुल गांधी ने जिलाध्यक्षों के चयन में सतर्कता बरतने के निर्द ...और पढ़ें
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा जिलाध्यक्षों की चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही की जाएगी। राहुल गांधी के चंडीगढ़ दौरे के दौरान इस बात के संकेत मिले थे कि जिलाध्यक्षों की घोषणा से पहले प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित किया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ने तय किया है कि पहले जिलाध्यक्षों के नाम घोषित होंगे, उसके बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा।
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प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस हाईकमान विधायक दल के नेता के नाम पर विचार करेगी। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी में आधा दर्जन दावेदार हैं।
राहुल गांधी जिस तरह से राज्य में पार्टी का संगठन बनाने में पूरी रुचि ले रहे हैं, उसे देखकर लग रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के चयन में पूरी सतर्कता और जातीय समीकरणों के साथ दावेदारों का कद और उनकी धरातल पर पकड़ का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
राहुल गांधी जिलाध्यक्षों के चयन में किसी तरह की चूक के हक में नहीं हैं। पार्टी प्रभारी बीके हरिप्रसाद की ओर से केंद्रीय पर्यवेक्षकों को कहा जा चुका है कि यदि उनकी कोई भी शिकायत मिली तो राहुल गांधी ने उन्हें पर्यवेक्षकों के विरुद्ध बिना किसी अनुमति के कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया हुआ है। हालांकि प्रभारी के पास अभी तक किसी भी केंद्रीय पर्यवेक्षक की शिकायत नहीं पहुंची है, लेकिन अनुशासनहीनता व गुटबाजी से पार्टी पूरी तरह त्रस्त है।
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद पार्टी की इस गुटबाजी को संगठन की सेहत के लिए बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं मानते। कहते हैं, दावेदार किसी भी गुट में रहें, किसी भी नेता के नारे लगाएं, लेकिन कांग्रेस संगठन के लिए काम करने की सोच जरूरी है।
संकेत दिए हैं कि पहले जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया पूरी होगी। यह काम 30 जून तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है। 15 जुलाई तक जिलों के अध्यक्ष बनाने का काम पूरा हो जाएगा, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर विचार होगा।
जिस तरह से जिलाध्यक्षों के चयन में जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है, उसी तरह से प्रदेश अध्यक्ष के चयन में पार्टी जातीय समीकरण, दावेदारों की फील्ड में मजबूत पकड़, उनकी राजनीतिक व सामाजिक स्वीकार्यता और पार्टी के प्रति समर्पण का ध्यान रखते हुए निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए दीपेंद्र, सैलजा व रणदीप में मुकाबला हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला के बीच में है। सैलजा दलित समाज से हैं, जबकि दीपेंद्र व सुरजेवाला जाट समाज से हैं।
ब्राह्मणों में हरियाणा कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज और पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा के नाम भी चर्चा में हैं। सैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने की स्थिति में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विपक्ष का नेता बनना तय है।
कांग्रेस हाईकमान चाहकर भी हुड्डा के राजनीतिक कद को नजरअंदाज नहीं कर सकता, क्योंकि कांग्रेस के 38 विधायकों में 33 विधायक हुड्डा खेमे के हैं, जबकि सैलजा समर्थक विधायक भी धीरे-धीरे हुड्डा से राजनीतिक पींगें बढ़ा रहे हैं।
आरएसएस-भाजपा का मुकाबला करने वाले होंगे जिलाध्यक्ष कांग्रेस करीब 140 साल पुरानी पार्टी है और आरएसएस 100 साल पुराना संगठन है। आरएसएस ने धरातल पर काम किया। गांवों तक पहुंचे। हम ऐसा नहीं कर पाए, क्योंकि संगठन बनाने से लेकर टिकटों के वितरण तक में जिलाध्यक्षों को कभी खास महत्व नहीं मिला। इस बार हम ऐसे जिलाध्यक्ष बना रहे हैं, जो भाजपा व आरएसएस से लड़ सकें।
संगठन को धरातल पर जाकर तैयार करना और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ग्राउंड तक पहुंचना तथा हर वर्ग केलोगों को साथ लेकर चलना हमारी कार्ययोजना का हिस्सा है। हमारे जिलाध्यक्ष इतने पावरफुल होंगे कि वे तय करेंगे कि एमपी-एमएलए कौन बनेगा।
राहुल गांधी की सोच है कि भाजपा-आरएसएस के स्लीपर सेल खत्म होने चाहिए। हरियाणा में ऐसा नहीं है। संगठन की प्रक्रिया इस माह तक पूरी हो जाएगी। जिलाध्यक्षों के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष व सीएलपी के नाम तय होंगे।
- बीके हरिप्रसाद, प्रभारी, हरियाणा कांग्रेस
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