कम नहीं हुई हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी, राव नरेंद्र भी अध्यक्ष बनने के बाद नहीं कर पाए कमाल, नेताओं में नेतृत्व की होड़
हरियाणा कांग्रेस में राव नरेंद्र के अध्यक्ष बनने के बाद भी गुटबाजी जारी है। कई जिलाध्यक्ष मनमानी कर रहे हैं और राज्य स्तरीय नेता नेतृत्व को लेकर आपस में भिड़ रहे हैं। अशोक तंवर और कैप्टन अजय यादव जैसे नेताओं की अनदेखी हो रही है। राव नरेंद्र अपनी कार्यशैली से नेताओं को एकजुट करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, जिससे पार्टी में गुटबाजी और बढ़ रही है।

हरियाणा कांग्रेस के प्रधान राव नरेंद्र सिंह और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस इस समय जबरदस्त गुटबाजी का शिकार है। कांग्रेस हाईकमान की पसंद के राव नरेंद्र के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद संभावना जताई जा रही थी कि हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ सही चलेगा, लेकिन गुटबाजी कम होने की बजाय बढ़ गई है।
पार्टी के कई जिलाध्यक्ष अपनी मनमानी कर रहे हैं। ऐसे जिलाध्यक्षों की सोच है कि उनकी नियुक्ति हरियाणा कांग्रेस कमेटी ने नहीं की, बल्कि सीधे कांग्रेस हाईकमान से हुई है। ऐसे में वह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के पद और कद की भी अनदेखी कर रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेता भी पूरी तरह गुटबाजी का शिकार हैं।
वोट चोर-गद्दी छोड़ अभियान के संचालन के लिए राज्य स्तरीय नेताओं की जिम्मेदारी लगाई गई है। इसके तहत हर जिले में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। मुख्य विवाद प्रदर्शन का नेतृत्व करने को लेकर है। प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र के साथ अधिकतर कार्यक्रमों में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हो रहे हैं।
ड्डा गुट के नेताओं की सोच है कि प्रदर्शन का नेतृत्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा के हाथों में दिखाया जाए, राव नरेंद्र के समर्थक नेताओं की सोच है कि सब कुछ प्रदेश प्रधान ही कर रहे हैं। कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में हुए कार्यक्रमों में भी यही स्थिति बन चुकी है।
कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने जब से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह व उनके पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह द्वारा निकाली जा रही सद्भाव यात्रा को कांग्रेस की अधिकृत यात्रा मानने से इनकार किया है, तब से दोनों पिता पुत्र स्वयं के दम पर सद्भाव यात्रा निकाल रहे हैं। उनका ध्यान कांग्रेस के प्रदर्शनों के बजाय सद्भाव यात्रा के संचालन पर है।
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. अशोक तंवर का पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों में कहीं कोई जिक्र नहीं हो रहा है। यही स्थिति पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव की है। दोनों कांग्रेस नेताओं की पार्टी स्तर पर खूब अनदेखी हो रही है।
प्रधान की कार्यशैली अलग-थलग
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष राव नरेंद्र हाईकमान के साथ पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अपनी नियुक्ति के बाद से यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे किसी के दबाव और प्रभाव में नहीं हैं। उनकी स्वयं की अलग पहचान है, लेकिन राव ऐसा संदेश देने में सफल नहीं हो रहे हैं। उनकी यह कार्यशैली कांग्रेस नेताओं के विश्वास से उन्हें अलग-थलग कर रही है।
हुड्डा समर्थक अपने नेताओं को पावरफुल साबित कर रहे
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थक अपने दोनों नेताओं को सबसे पावरफुल साबित करने के लिए कोई प्रयास नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में कांग्रेस के 37 विधायकों में से अधिक हुड्डा समर्थक हैं। पांच सांसदों में चार हुड्डा समर्थक हैं।
हरियाणा कांग्रेस की अनुशासन समिति भी अभी एक्टिव मोड में नहीं आई है। अंबाला में हुई जोन स्तरीय पहली बैठक में हिसार व सिरसा के जिलाध्यक्षों को नोटिस देने की बात तो कही गई, लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है।
कई जिलाध्यक्ष अपने प्रोटोकाल की लड़ाई लड़ रहे
कांग्रेस महासचिव एवं प्रभारी बीके हरिप्रसाद की मौजूदगी में हिसार के कार्यक्रम में एक जिलाध्यक्ष ने कहा था कि उनके लिए पार्टी-वार्टी कुछ नहीं है। उनके लिए व्यापारी पहले हैं। राज्य के बाकी जिलों में कई जिलाध्यक्ष अपने प्रोटोकाल की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें बैठने के लिए चेयर नहीं मिलती, जबकि विधायक और सांसद इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस हाईकमान द्वारा ऊपर से बनाए गए जिलाध्यक्ष उनके मान-सम्मान का ध्यान नहीं रख रहे हैं।

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