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    हरियाणा के आयुष कॉलेजों में बढ़ेंगी सीटें, नए कोर्स होंगे शुरू

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 09:39 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने आयुष कॉलेजों की जांच के लिए कमेटी गठित की है। यह कमेटी नए कॉलेज खोलने सीटें बढ़ाने और नए कोर्स शुरू करने पर निर्णय लेगी। एनओसी/ईसी अनिवार्य होगा। जिला स्तर पर एडीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। शिकायत आने पर आयुष महानिदेशक द्वारा गठित कमेटी जांच करेगी। इस कदम का मकसद गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

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    हरियाणा के आयुष कालेजों में बढ़ेंगी सीटें। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।  हरियाणा सरकार ने प्रदेश में आयुष (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों की जांच और निरीक्षण के लिए कमेटी गठित की है। यह कमेटी कालेजों में सीटें बढ़ाने और नये कोर्स शुरू करने पर भी निर्णय लेगी।

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    राज्यपाल की स्वीकृति के बाद स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है। कोई भी नया आयुष शैक्षणिक संस्थान शुरू करने से पहले नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) या एसेंशियल सर्टिफिकेट (ईसी) लेना जरूरी होगा। इसके लिए गठित कमेटी स्थल का निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी।

    जिलों के लिए बनने वाली यह कमेटी अतिरिक्त जिला उपायुक्त (एडीसी) की अगुवाई में बनेगी। संबंधित जिले के आयुर्वेदिक अधिकारी इस कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी व कंवीनर होंगे।

    इसी तरह से संबंधित एरिया के तहसीलदार, फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज विभाग, शहरी निकाय/टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रतिनिधि तथा पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) या पंचायत विभाग के एक्सईएन/एसडीओ तथा आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी, सोवा-रिग्पा, होम्योपैथिक और योग एवं नेचुरोपैथी के विषय विशेषज्ञ बतौर सदस्य कमेटी में शामिल किए जाएंगे।

    हर कालेज की श्रेणी के अनुसार तीन-तीन विषय विशेषज्ञ समिति में शामिल होंगे। अगर किसी मौजूदा आयुष संस्थान में सीटें बढ़ानी हों या नए कोर्स शुरू करने हों और भवन व भूमि का विस्तार न किया गया हो, तो केवल तकनीकी विशेषज्ञ ही निरीक्षण करेंगे। लेकिन यदि भूमि और भवन का विस्तार किया गया है, तो पूरी समिति निरीक्षण करेगी।

    अगर किसी आयुष संस्थान के खिलाफ शिकायत आती है तो मामले की जांच आयुष महानिदेशक द्वारा गठित कमेटी करेगी। जरूरत पड़ने पर जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी इसमें शामिल किया जा सकेगा।

    स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल के अनुसार इस कदम का मकसद प्रदेश में चल रहे आयुष शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। साथ ही, केंद्रीय नियामक संस्थाओं के मानकों के अनुसार सीट वृद्धि और कोर्स शुरू करने की प्रक्रिया को लागू करना है।

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