हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र में ही भूले संसदीय परंपराएं, नहीं कराया गया राज्यपाल का अभिभाषण
हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के पहले सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण नहीं होने से विवाद खड़ा हो गया है। संविधान के अनुसार विधानसभा के पहले सत् ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के बाद 25 अक्टूबर को बुलाए गए प्रथम सत्र में संसदीय परंपराओं का ध्यान नहीं रखा गया। संविधान के अनुच्छेद 176 के अंतर्गत विधानसभा के प्रथम सत्र के आरंभ में राज्यपाल का अभिभाषण अनिवार्य है। राज्यपाल के अभिभाषण के बिना सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित नहीं किया जा सकता।
अब कैसे होगा राज्यपाल का अभिभाषण?
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते समय न तो संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा और न ही विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण द्वारा सदन को बताया गया कि प्रथम सत्र में किस कारण से राज्यपाल का अभिभाषण नहीं कराया जा रहा है और वह कब कराया जाएगा।
हालांकि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा अभी तक विधानसभा का सत्रावसान नहीं किया गया है, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण किसी भी तिथि को सदन के नेता (मुख्यमंत्री) की अनुशंसा पर अगली बैठक बुला सकते हैं जिसमें राज्यपाल का अभिभाषण कराया जा सकता है।
इससे पहले होता रहा है राज्यपाल का अभिभाषण
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और संसदीय मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व जब 25 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन 14वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के बाद प्रथम सत्र बुलाया गया था तो वह तीन दिन का था।
प्रथम दिन चार नवंबर को नव निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद विधानसभा का चुनाव और उसके अगले दिन पांच नवंबर को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था। इसी प्रकार 10 वर्ष पूर्व जब 21 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन 13वीं हरियाणा विधानसभा का प्रथम सत्र बुलाया गया था तो वह भी तीन दिन का था।
प्रथम दिन तीन नवंबर को नव-निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद स्पीकर का चुनाव हुआ और अगले दिन चार नवंबर को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ।
एक दिन का सत्र में भी हुआ था अभिभाषण
इससे पहले 24 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन 12वीं हरियाणा विधानसभा का प्रथम सत्र बुलाया गया था तो एक दिन का था। तब 28 अक्टूबर 2009 को सर्वप्रथम नव-निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान और स्पीकर के चुनाव के बाद उसी दिन राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था।
इसके तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में विश्वास मत हासिल किया और उसके बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
छह मंत्रियों और विधायकों ने शपथ लेने के साथ किया प्रतिज्ञान
विधानसभा के पहले सत्र में कार्यवाहक (प्रोटेम) स्पीकर डॉ. रघुबीर सिंह कादियान द्वारा नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के दौरान हुई चूक का मुद्दा उठाते हुए हेमंत कुमार ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल और हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण को ज्ञापन भेजकर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
इसे विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों की लापरवाही कहें या जाने-अनजाने हुई गंभीर चूक कि विधायकों को शपथ का ऐसा ड्राफ्ट फार्म (प्रारूप) दिया गया, जिसे पढ़कर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित छह मंत्रियों कृष्ण लाल पंवार, महिपाल ढांडा, रणबीर गंगवा, श्याम सिंह राणा, आरती सिंह राव और गौरव गौतम सहित अधिकतर विधायकों ने ईश्वर की शपथ के साथ-साथ सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान भी कर लिया।
संविधान की तीसरी अनुसूची में स्पष्ट उल्लेख है कि विधायक को स्थान ग्रहण करने से पहले ईश्वर की शपथ लेनी होती है या फिर सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करना होता है, लेकिन दोनों काम एक साथ नहीं किए जा सकते।

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