Haryana Chunav 2024: राजनीतिक दलों में अचानक बढ़ने लगा दलित प्रेम, सभी अपने पाले में करने की कर रहे कोशिश
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी राजनीतिक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। राज्य में करीब 22 प्रतिशत दलित मतदाता हैं जो चुनाव का रुख बदलने की ताकत रखते हैं। बता दें कि प्रदेश में 17 आरक्षित सीटें हैं। भाजपा कांग्रेस इनेलो-बसपा गठबंधन और जजपा-आसपा गठबंधन ने भी आरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे हैं।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का दलितों के प्रति खास प्रेम उमड़ रहा है। अभी तक तीन बार हरियाणा के दौरे पर आ चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं का उल्लेख किया।
वहीं कांग्रेस अपने कार्यकाल में दलित कल्याण की योजनाओं और भाजपा के कार्यकाल में हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर भाजपा पर हमलावर है। दलितों को अपने पक्ष में खड़ा करने के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही इस रस्साकसी में इनेलो-बसपा गठबंधन और जजपा-आसपा भी दलितों पर अपना दावा पेश कर रहे हैं।
हरियाणा में 22 प्रतिशत दलित वोटर
प्रदेश में करीब 22 प्रतिशत दलित मतदाता हैं, जो चुनाव का रुख बदलने की ताकत रखते हैं। राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में 17 सीटें आरक्षित हैं। भाजपा व कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी, इनेलो-बसपा व जजपा-आसपा गठबंधन ने भी इन सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे हैं।
लोकसभा चुनाव में कराया था ताकत का एहसास
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में दलित मतदाताओं ने अपनी ताकत का एहसास सभी राजनीतिक दलों को कराया है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों की बढ़त हासिल की है।
मोदी-शाह और राहुल व मायावती ने स्वयं को शुभचिंतक दर्शाया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक ने कांग्रेस के कार्यकाल में दलितों के उत्पीड़न के लिए चर्चित गोहाना और मिर्चपुर समेत कई कांड गिनाए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने हरियाणा दौरे के दौरान दो जनसभाओं में भाजपा की यह कहते हुए घेराबंदी की कि भाजपा संविधान को खत्म करने की साजिश रच रही है और कांग्रेस ही सही मायनों में दलितों की हितैषी है।
इनेलो के साथ गठबंधन में शामिल बसपा अध्यक्ष मायावती ने राज्य में अब तक दो बड़ी रैलियां की हैं, जिनमें उन्होंने दलितों को किसी सूरत में नहीं बंटने का संदेश दिया है और अपने शुभचिंतकों की पहचान करने को कहा है। यही स्थिति जजपा के साथ गठबंधन में शामिल आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण की है, जो दलितों को कांग्रेस व भाजपा से सचेत करने का काम कर रहे हैं।
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कांग्रेस ने उठाया था आरक्षण खत्म करने का मुद्दा
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस दलितों को यह समझाने में कामयाब रही कि सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर आरक्षण खत्म कर देगी, जिसका लाभ कांग्रेस को मिला है। इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा आरंभ से ही दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमलावर है।
भाजपा ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस की वरिष्ठ दलित नेता कुमारी सैलजा की अपनी पार्टी से नाराजगी को मुद्दा बनाया है। कई दिनों तक यह प्रचार भी हुआ कि सैलजा भाजपा में शामिल होंगी। हालांकि कांग्रेस ने सैलजा की नाराजगी दूर कर लेने का दावा किया है, लेकिन भाजपा को इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ मिला है।
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