हरियाणा में पशुपालन विभाग की परीक्षा में 56% अधिकारी फेल, वेट डॉक्टर भी अनफिट; ट्रेनिंग सिस्टम पर उठे सवाल
हरियाणा पशुपालन विभाग की विभागीय परीक्षा में 56% अधिकारी फेल हो गए हैं, जिनमें पशु चिकित्सक भी शामिल हैं। 290 अधिकारियों में से 163 उत्तीर्ण नहीं हो सके। इस असफलता से पदोन्नति पर असर पड़ेगा और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह परिणाम प्रशिक्षण की गुणवत्ता में कमी को दर्शाता है। असफल अधिकारियों को एसीआर में नकारात्मक प्रविष्टि का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उन्हें सुधार का अवसर मिल सकता है।
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कुल 290 अधिकारियों ने यह परीक्षा दी थी, जिसमें 163 अधिकारी पास नहीं हो सके (प्रतीकात्मक फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।लहरियाणा में पशुपालन और डेयरी विभाग में पदोन्नति के लिए आयोजित विभागीय परीक्षा में 56 प्रतिशत अधिकारी फेल हो गए हैं। इनमें पशु चिकित्सक भी शामिल हैं। कुल 290 अधिकारियों ने यह परीक्षा दी थी, जिसमें 163 पास नहीं हो सके।
अधिकारियों के ज्ञान, प्रदर्शन और कौशल का मूल्यांकन करने के लिए 22 मार्च को यह परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसका परिणाम अब घोषित किया गया है। विभागीय परीक्षा में असफलता से न केवल इन अधिकारियों की पदोन्नति पर विपरीत असर पड़ेगा, बल्कि विभाग की कार्यप्रणाली की समीक्षा की संभावना भी बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षा परिणाम विभाग में प्रशिक्षण की गुणवत्ता और व्यावहारिक ज्ञान के अभाव को उजागर करता है। विभागीय परीक्षाएं कर्मचारियों की अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक विशेषज्ञता का परीक्षण करने का एक पैमाना मानी जाती हैं।
पशुपालन कर्मचारियों के कर्तव्यों में मुख्य रूप से पशुधन स्वास्थ्य और प्रजनन, रोग नियंत्रण और कृषक समुदाय को पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
विभागीय परीक्षा में फेल अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में निगेटिव एंट्री दर्ज की जा सकती है। इससे पदोन्नति और अन्य लाभों में देरी हो सकती है। हालांकि इन असफल अधिकारियों को अपना प्रदर्शन सुधारने का एक मौका दिया जा सकता है। यदि उन्हें दूसरा मौका मिलता है तो वह अपने इस खराब परिणाम को सुधार सकते हैं।

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