अपनी प्रचीन धरोहरों का प्रहरी बनकर खड़ा हरियाणा, प्रदेश में छह स्थलों को मिला 'सुरक्षा कवच'
हरियाणा सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए छह प्राचीन स्थलों को सुरक्षा प्रदान की है। इन स्थलों पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है जो 24 घंटे निगरानी रखेंगे। इस कदम से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और बिहार की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित रहेगी।

प्रदेश में छह प्राचीन स्थलों को मिला सुरक्षा कवच (फोटो: जागरण)
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। पूरा देश 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह मना रहा है। सभ्यताओं की यह धरोहर केवल ईंट-पत्थर का समूह नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक स्मृति का भंडार है, जिसने हमें समय की अनगिनत परतों से जोड़ा है।
इस धरोहर में हरियाणा की भूमि विशेष है। जहाँ मानव सभ्यताओं की शुरुआत कबीलाई मिट्टी के कणों में दर्ज है। इसे प्रदेश में छह नए स्थलों को 'राज्य संरक्षित धरोहर' का दर्जा मिलना केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण का सफल कदम है। हरियाणा आज इन धरोहरों का केवल स्वामी नहीं, प्रहरी बनकर खड़ा है।
सोहना का किला: दिल्ली के द्वार पर खड़ा मध्यकालीन इतिहास गुरुग्राम जिले की पहाड़ियों पर स्थित सोहना का किला मध्यकालीन किलेबंदी की विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह किला राजपूत, मुगल तथा बाद में जाट शासकों के प्रभावों से गुजरते हुए आज भी अपने शिखर को दीवारों, बुर्जी (बुर्जियों) और छतों में इतिहास की सघन उपस्थिति को संजोए है। आइने-ए-अकबरी में भी इसका उल्लेख मिलता है, जो इसे दिल्ली - मेवात क्षेत्र के सामरिक महत्व का प्रमाण बनाता है।
कैसे पहुंचें: दिल्ली-गुरुग्राम-सोहना रोड बस स्टैंड से 1.5 किमी पहाड़ी मार्गदूरी : दिल्ली से 55 किमी
रेवाड़ी की पांच छतरियां स्थापत्य, कला और रियासती इतिहास का शानदार समन्वय हैं। राव तेज सिंह द्वारा तिरूपति भवन सिंह बाग में स्थित ये संरचनाएं 17वीं-18वीं शताब्दी के उस दौर की याद दिलाती हैं, जब रेवाड़ी क्षेत्र रणनीतिक-सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।
अष्टकोणीय गुंबद, गुंबदित मेहराबदार प्रवेश और चुने की नक्काशी की गई ईंट संरचना इन छतरियों की अनूठी अभिप्राय देती है। यह समूह राव तुलाराम के गौरवशाली इतिहास को भी सहेज कर रखता है।
बिरमंडा की तोशाम में पृथ्वीराज की कचहरी तथा फतेहाबाद के बोरसी गाँव की मस्जिद भी अब संरक्षित और घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इतिहासकारों ने दो मठ में कुषाण और अजंता अवशेषों की मदद से, उन दोनों स्थलों के शामिल होने से प्रदेश की व्यवस्थापन और इस्लामी स्थापत्य विरासत को मजबूती मिलेगी।

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