NCR में वायु प्रदूषण पर सरकार सख्त, 800 से अधिक नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी
हरियाणा सरकार एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने पराली प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा, इलेक ...और पढ़ें

एनसीआर में वायु प्रदूषण पर गंभीर सरकार, 800 से अधिक नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को स्वीकृति। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण पर सरकार गंभीर हो गई है। मामले में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग तथा केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नाराजगी को देखते हुए मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने सोमवार देर शाम को कार्ययोजना की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई।
इसमें खेत में पराली प्रबंधन से लेकर स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, शहरों में धूल नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और औद्योगिक अनुपालन जैसी विभिन्न पहलों की समीक्षा की गई।
बैठक में एक्शन टेकन रिपोर्ट का आकलन करने के साथ-साथ राज्य और शहर स्तरीय कार्य योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया गया। इस दौरान गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल, पानीपत, रोहतक और मानेसर नगर निगमों के लिए विशिष्ट रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए वर्ष 2018-19 से अब तक किसानों को 932 करोड़ रुपये की एक लाख से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें अनुदान पर उपलब्ध कराई गई हैं। पराली का उपयोग पेलेटाइजेशन यूनिट्स, थर्मल पावर प्लांटों, ईंट भट्टों और उद्योगों में किया जा रहा है। झज्जर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, फतेहाबाद और पानीपत में स्थापित कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट बड़ी मात्रा में पराली का उपयोग कर रहे हैं।
बैठक में बताया गया कि दिल्ली से 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित थर्मल पावर प्लांटों ने छह प्रतिशत से अधिक बायोमास को-फायरिंग प्राप्त कर ली है। इनमें कम से कम 50 प्रतिशत धान की पराली शामिल है। खेदड़, पानीपत, यमुनानगर और झज्जर के संयंत्रों में बायोमास खपत में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। गैर-एनसीआर जिलों में ईंट भट्टों ने भी अनिवार्य 20 प्रतिशत बायोमास को-फायरिंग शुरू कर दी है।
वायु प्रदूषण रोकने के लिए 800 से अधिक नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को स्वीकृति दी गई है। पुरानी बीएस-तीन और बीएस-चार डीजल बसों को एनसीआर जिलों से बाहर स्थानांतरित किया गया है। धूल से निपटने के लिए हाट स्पाट्स पर मैकेनिकल रोड स्वीपर, वाटर स्प्रिंकलर और एंटी-स्माग गन तैनात की गई हैं।
प्रमुख सड़कों को पक्का करने और हरित आवरण बढ़ाने के लिए कार्य योजनाएं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भेजी गई हैं। दिसंबर तक नगर पालिकाओं के 14 लाखटन से अधिक पुराने ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। गुरुग्राम में यह लक्ष्य वर्ष 2028 तक निर्धारित किया गया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए प्रस्तावित नए वेस्ट-टू-फ्यूल संयंत्रों से प्रसंस्करण क्षमता की कमी पूरी होगी।
अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जारी करेगा प्रदूषण प्रमाणपत्र
वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन किया जाएगा।विश्व बैंक ने भी हरियाणा को वर्ष 2030 तक लगभग 3000 करोड़ रुपये के सहयोग का प्रस्ताव दिया है। पहले चरण में वर्ष अगले साल 1000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नवंबर-दिसंबर के दौरान एनसीआर में धुएं की समस्या केवल पराली या मौसमी कारणों से नहीं होती, बल्कि वाहनों से निकलने वाला धुआं, भवन निर्माण कार्य और फैक्ट्रियों का उत्सर्जन भी इसके प्रमुख कारण हैं।
वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर सख्ती के लिए अब पेट्रोल पंपों पर स्थापित प्रदूषण जांच उपकरणों का नियमित निरीक्षण पर्यावरण विभाग के अधिकारी करेंगे। प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी करने वाली कंपनियों के नियंत्रण की जिम्मेदारी परिवहन विभाग के स्थान पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी जाएगी।

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