भूमि मालिकों के लिए अच्छी खबर, अधिग्रहित जमीन के बदले मिलेगा 4 गुणा मुआवजा; हरियाणा सरकार ने नियम में किया बदलाव
हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण नीति में बदलाव किया है जिसके तहत अब भूमि मालिकों को उनकी जमीन के बदले चार गुना मुआवजा मिलेगा। यह निर्णय भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। नई नीति के अनुसार मुआवजा केंद्रीय अधिनियम के तहत निर्धारित राशि के बराबर होगा और बिल्डरों व निजी संस्थाओं द्वारा खरीदी गई भूमि पर अतिरिक्त शुल्क लगेंगे।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में भूमि मालिकों को अब जमीन अधिग्रहण के बदले चार गुणा कीमत मिलेगी। भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने चार साल पुरानी नीति में बदलाव किया है। अभी तक भूमि मालिकों को भूमि अधिग्रहण पर कलेक्टर रेट से सिर्फ दोगुना रेट दिया जा रहा था।
वित्तायुक्त राजस्व और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने 25 नवंबर 2021 को अधिसूचित नीति में बदलाव के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले 18 अक्टूबर 2023 को भी सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों, पंचायती राज संस्थाओं तथा शहरी स्थानीय निकायों के लिए भूमि की बाजार दर निर्धारित करने की नीति में संशोधन किया गया था।
भूमि अधिग्रहण के लिए दरों को कलेक्टर रेट से चार गुणा किए जाने पर अधिग्रहीत जमीन के रेट से जुड़े विवादों से निपटा जा सकेगा। नीति का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों और उनकी संस्थाओं द्वारा अलग-अलग मानदंड अपनाने के कारण होने वाली कानूनी जटिलताओं से बचना है।
बेंचमार्क के रूप में किया जाएगा उपयोग
नीति में संशोधन के अनुसार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन के मामलों में मुआवजा उस राशि के बराबर हो जाएगा जो केंद्रीय अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण पर सरकारी संस्थाएं भूस्वामियों को देती हैं। बिल्डरों और निजी इकाई द्वारा खरीदी गई भूमि को इच्छित उपयोग में लाने से पहले संबंधित कानून के तहत निर्धारित शुल्क और प्रभार की वसूली के अधीन किया जाएगा।
इसलिए कृषि प्रयोजनों के लिए निर्धारित कलेक्टर रेट को लाभार्थी से वसूली जाने वाली चार गुना राशि की गणना के लिए बेंचमार्क के रूप में उपयोग किया जाएगा। यह भूमि के अंतिम इच्छित उपयोग की परवाह किए बिना लागू होगा, क्योंकि निर्धारित शुल्क और प्रभार की वसूली पर संबंधित कानून के तहत आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया का अलग से पालन किया जाएगा।
विभागों को मुख्यमंत्री से लेनी होगी स्वीकृति
भूमि अधिग्रहण की कठिनाइयों को दूर करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए पुरानी नीति के खंड 5(iii)(सी) में संशोधन किया गया है।
इसके अनुसार यदि संबंधित बिल्डर और निजी संस्था संदर्भित भूमि के विक्रय विलेखों के पंजीकरण के लिए नवीनतम कलेक्टर रेट की चार गुनी राशि या राजस्व संपदा में उसी प्रकार की भूमि और अचल संपत्ति से संबंधित पिछले वर्ष में उच्चतम राशि के दो विलेखों का औसत, जो भी अधिक हो, देने के लिए तैयार है तो संबंधित विभाग या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा मुख्यमंत्री के अनुमोदन से उचित निर्णय लिया जा सकता है।
यह केवल सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा की गई बिक्री पर लागू होगा। संबंधित बिल्डर और निजी संस्था को देय राशि के 25 प्रतिशत के साथ संगठन/विभाग के प्रमुख को प्रस्ताव पर अपनी सहमति दर्शाते हुए ऐसा आवेदन करना होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।