हरियाणा में बकरियों का भी होगा कृत्रिम गर्भाधान, नस्ल सुधारने और लुप्त प्रजातियों को बचाने पर फोकस
हरियाणा सरकार बकरियों के लिए भी कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) सेवाओं का विस्तार करेगी। कृत्रिम गर्भाधान के जरिये बकरियों की नस्ल सुधारने और लुप्त होती प्रजातियों को बचाने पर फोकस रहेगा। सरकार के इस कदम से पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी।

जेएनएन, चंडीगढ़। किसानों और पशुपालकों की कमाई बढ़ाने की कवायद में लगी हरियाणा सरकार अब गाय-भैंसों की तर्ज पर बकरियों के लिए भी कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) सेवाओं का विस्तार करेगी। इसके तहत कृत्रिम गर्भाधान के जरिये बकरियों की नस्ल सुधारने और लुप्त होती प्रजातियों को बचाने पर फोकस रहेगा।
हरियाणा में दूध की उपलब्धता 1142 ग्राम प्रति व्यक्ति रोजाना है, जो कि राष्ट्रीय औसत 394 ग्राम के मुकाबले काफी अधिक है। दूध उत्पादन को बढ़ाने में अहम बकरियों की नस्ल सुधार के लिए लोहारू में बकरी प्रजनन केंद्र (Goat Breeding Center) स्थापित किया जाएगा। दक्षिणी हरियाणा में नए दुग्ध संयंत्र के लिए जगह तलाशी जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को कवर करने वाले इस दुग्ध संयंत्र की पैकिंग क्षमता तीन लाख लीटर प्रतिदिन होगी, जिसे पांच लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है। भिवानी के गांव शेरला में एक लघु दुग्ध संयंत्र भी बनाया जाएगा।
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कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा में करीब 70 लाख पशुधन है। बेहतर पशुधन और पोल्ट्री रोग डायग्नोस्टिक्स सेवाएं प्रदान करने के लिए हिसार, सोनीपत और पंचकूला में एवियन इन्फ्लूएंजा तथा अन्य पोल्ट्री रोगों के रैपिड और आरटी-पीसीआर डायग्नोस्टिक्स के लिए तीन बायो सेफ्टी लेवल-2 प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना है। सभी राजकीय पशु चिकित्सालय कंप्यूटरीकृत किए जाएंगे।
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मत्स्य पालन से बढ़ सकती किसानों की कमाई
मत्स्य पालन (Fisheries) को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान छेड़ा गया है। प्रदेश में औसतन 9.6 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर मत्स्य उत्पादकता दर्ज की गई है जोकि राष्ट्रीय स्तर पर तीन मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर औसत मत्स्य उत्पादन से अधिक है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Prime Minister's Fisheries Scheme) के तहत प्रदेश में अगले तीन साल में 1090 हेक्टेयर लवणता प्रभावित क्षेत्र और पांच हजार हेक्टेयर ताजा पानी वाले अतिरिक्त क्षेत्र को मछली पालन के लिए तैयार किया जाएगा। दस स्माल फिश फीड मिल प्लांट (Small Fish Feed Mill Plant) स्थापित किए जाएंगे। झींगा को प्रोत्साहित करने के लिए भिवानी के गरवा गांव में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
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