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    गीतांजलि की मौत का कारण और जिम्मेदार कौन? 12 साल बाद भी रहस्य बरकरार

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 06:28 PM (IST)

    पंचकूला की सीबीआई विशेष अदालत ने गीतांजलि मौत मामले में फैसला सुनाते हुए रवनीत गर्ग, कृष्ण कुमार गर्ग और रचना गर्ग को बरी कर दिया। जज राजीव गोयल ने कह ...और पढ़ें

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    अपने पति के साथ गीतांजलि की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। गीतांजलि मौत मामले में मंगलवार को पंचकूला की सीबीआई विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। गीतांजलि के पति तत्कालीन सीजेएम रवनीत गर्ग, ससुर (सेवानिवृत्त सेशन जज) कृष्ण कुमार गर्ग और मां रचना गर्ग को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। करीब 12 साल चली जांच और सुनवाई के बावजूद मौत के असली कारण और जिम्मेदार व्यक्ति का पता नहीं चल सका।

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    सीबीआई कोर्ट के जज राजीव गोयल ने अपने फैसले में कहा कि जांच एजेंसी गीतांजलि की हत्या या दहेज हत्या को साबित करने में पूरी तरह विफल रही है। अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर सका कि गीतांजलि की मौत हत्या थी या दहेज के लिए की गई हत्या। इस फैसले के साथ ही मामला कानूनी रूप से समाप्त हो गया, लेकिन गीतांजलि की मौत हत्या थी या आत्महत्या यह सवाल 12 साल बाद भी अनसुलझा ही रह गया है। 

    17 जुलाई 2013 को मिला था शव 

    17 जुलाई 2013 को गुरुग्राम के पुलिस ग्राउंड में गीतांजलि का शव मिला था। सीबीआई ने शुरू में हत्या के एंगल से जांच की और डॉक्टर की राय भी इसे हत्या का मामला बता रही थी। चार्जशीट दाखिल करते समय हत्या की धाराओं में बदलाव कर दहेज हत्या (धारा 304-B) जोड़ दी गई और नवनीत गर्ग, उनके पिता और मां को आरोपित बना दिया गया।

    अदालत के फैसले का आधार

    मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि घटना वाले दिन गीतांजलि ने पंचकूला निवासी अपने माता-पिता, भाई, भाभी और अन्य परिजनों से बातचीत की थी। सभी बातचीत सामान्य थी और किसी प्रकार की प्रताड़ना या दहेज मांग की कोई शिकायत सामने नहीं आई। अभियोजन पक्ष दहेज मांग या क्रूरता से जुड़ा कोई भी आरोप प्रमाणित नहीं कर सका। इसी वजह से तीनों आरोपितों को अदालत से राहत मिली।

    शव मिलने से लेकर सीबीआई को जांच सौंपे जाने तक

    • 17 जुलाई: रात को गुरुग्राम में पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड की झाड़ियों में गीतांजलि का शव संदिग्ध हालत में मिला। शरीर पर तीन गोलियां लगी हुई थी। घटना वाले दिन शाम चार बजे से पहले गीतांजलि बिना मोबाइल और सरकारी वाहन लिए घर से बाहर निकली थी। घटनास्थल से मिली लाइसेंसी रिवॉल्वर भी सीजेएम के नाम बताई गई थी।
    • 18 जुलाई: गीताजंलि का पोस्टमार्टम हुआ। रवनीत गर्ग की चचेरी बहन हिना ने बताया था कि गीतांजलि खाकर ही घर से निकलती थी, लेकिन पोस्टमार्टम में इसको नकार दिया गया?
    • 19 जुलाई: मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई।
    • 20 जुलाई: रात को रवनीत गर्ग, मां रचना गर्ग के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया।
    • 21 जुलाई: एसआईटी ने चार घंटे तक सीजेएम से पूछताछ की।
    • 22 जुलाई: सीजेएम के घर एसआईटी पहुंची, चचेरी बहन हिना, मां रचना गर्ग के बयान दर्ज करने के साथ सीजेएम का मोबाइल, लैपटॉप, रिवॉल्वर का लाइसेंस, बची हुई गोलियां जब्त की। एफएसएल और एसआईटी ने भी सबूत जुटाए।
    • 27 जुलाई: हरियाणा सरकार के हस्तक्षेप के बाद सीबीआई ने जांच अपनी हाथ में ली।
    • 8 सितंबर 2016: सीबीआई ने रवनीत गर्ग को गिरफ्तार किया कोर्ट में पेश किया था। उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था।
    • दिसंबर 2016 में चार्जशीट दाखिल : सीबीआई ने पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में चार्जशीट दायर की। उसमें बताया कि गीतांजलि के हत्या में दो हथियारों का इस्तेमाल हुआ है। गीतांजलि के पति रवनीत गर्ग के लाइसेंसी रिवॉल्वर के साथ अन्य हथियार का भी इस्तेमाल किया गया है। पहले दिन दो कारतूस मिले थे, अगले दिन एक और फिर चार दिन बाद एक अन्य कारतूस मौके पर मिट्टी से मिला था। तीन कारतूस एक ही हथियार से चले और एक कारतूस किसी अन्य हथियार से। क्योंकि दोनों हथियारों की बोर में फर्क है।

  • गीतांजलि के परिवार का यह था आरोप

    चार्जशीट के मुताबिक गीतांजलि के परिजनों का आरोप था कि शादी में अधिक दहेज देने के बावजूद रवनीत उनकी बेटी को दहेज के लिए परेशान करता था। शादी में दो कारें, 51 लाख नकद, सोनीपत की ओमैक्स सिटी में एक फ्लैट और सोने के करीब 101 सिक्के मिलने के बावजूद गीतांजलि को प्रताड़ित किया जाता था। 

  • चार्जशीट में इसका भी जिक्र था कि गीतांजलि के परिजनों ने बैंक से लोन लेकर भी रवनीत की मांग पूरी की। यही नहीं रवनीत पंचकूला के सेक्टर-25 में प्लाॅट खरीदना चाहता था, जिसके लिए वह गीतांजलि पर 50 लाख लाने का दबाव बना रहा था। गीतांजलि को यहां तक टार्चर किया जाता था कि दोनों बेटियों के स्कूल में दाखिले तक के लिए पैसे नहीं दिए जाते थे। इस कारण उसे बच्चियों को पढ़ाने के लिए भाई से दो लाख लेने पड़े थे।