संस्कारवान बनाएगी 'गाली बंद घर' मुहिम, विदेश तक पहुंचा हरियाणा के सुनील जागलान का अभियान
हरियाणा के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने गाली बंद घर मुहिम शुरू की है। यह मुहिम महिला संबंधी गालियों से मुक्ति दिलाएगा। इंटरनेशनल मीडिया द्वारा उनके अभियान को सराहे जाने के बाद वह एकाएक सुर्खियों में आ गए।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आप घर में हैं या दफ्तर में, दुकान पर हैं या नौकरी पर... अक्सर लोगों से आपका किसी न किसी बात पर सामना होता है, बातचीत होती है, बातों ही बातों में बात जब पटरी से उतर जाए तो आपको गुस्सा भी आता होगा। तब आप जो गाली देते हैं, या भला बुरा बोलते हैं, उसका नुकसान आपको स्वयं तो हो ही रहा है, लेकिन आपके आसपास के लोगों खासतौर से परिवार के सदस्यों व बच्चों पर भी असर पड़ रहा है। आप समझिए कि जब आप फोन पर या प्रत्यक्ष रूप से किसी को गाली दे रहे हैं या आपको कोई गाली दे रहा है तो आपके बच्चों के मन-मस्तिष्क पर क्या असर पड़ रहा होगा। आपके बच्चों खासकर बेटी के दिल-दिमाग में आपको लेकर क्या छवि बनेगी। अगर बेटी समझदार है और उसने आपके द्वारा दी गई गाली को सुनकर रिश्तों की गहराई में जाना शुरू कर दिया, तब आप परिवार में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
हम इस बात का जिक्र यहां इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि पिछले दिनों ब्रिटेन के एक अखबार और इंटरनेशनल मैगजीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा सवाल पूछने पर पत्रकार को जो गाली दी, उसे आधार बनाकर हरियाणा के जींद जिले के गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान की गाली बंद मुहिम को बेहद सराहा है। जागलान हालांकि पहले से चुपचाप धीरे-धीरे गाली बंद मुहिम चला रहे थे, लेकिन इंटरनेशनल मीडिया द्वारा उनके अभियान को सराहे जाने के बाद वह एकाएक सुर्खियों में आ गए। आम बोलचाल की भाषा में गाली को सामान्य बात मान लिया जाता है। अपनी बात को ऊंचा रखने के लिए आप यह भी कह सकते हैं कि यह मेरी आदत में शामिल हो गया है, लेकिन सोचिए कि यदि आपकी बेटी या बेटा या पत्नी या भाई बात करते हुए गालियां देनी शुरू कर दे, तब आपकी कैसी स्थिति होगी।
स्कूल में आपके बच्चे को गलत आदतें छोड़ने, कभी झूठ न बोलने और गाली न देने के लिए प्रेरित किया जाता है, लेकिन अगर बच्चा अपनी क्लास टीचर को जाकर यह बता दे कि मेरे पापा हर रोज फोन पर बात करते हुए गाली देते हैं, तब आपकी हालत कैसी होगी। जी हां... यह बहुत ही प्रैक्टिकल बात है, लेकिन अभी देरी नहीं हुई है। कहावत है कि जब जागो, तभी सवेरा। सुनील जागलान वह व्यक्ति हैं, जो सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। उनके सेल्फी विद डाटर अभियान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंटरनेशनल व भारतीय मंचों पर कई बार सराहा है।
गांव हो या शहर, बेटियों को सम्मान देने के लिए घर के बाहर उनके नाम की प्लेट लगाने की मुहिम भी सुनील जागलान की देन है। घर में मां-बेटियां और बहुएं अभी भी अपने मासिक धर्म (पीरियड) पर बात करते हुए हिचकती हैं, लेकिन घरों में उनकी माहवारी का पीरियड चार्ट लगाने की मुहिम सुनील जागलान ने शुरू कराई है। इस मुहिम को गोवा और नेपाल में हाथों हाथ लिया जा रहा है। इसका फायदा यह हो रहा कि पीरियड चार्ट देखकर परिवार के पुरुष सदस्य भी यह जान लेते हैं कि उनकी बेटी, बहू या पत्नी के पीरियड की डेट क्या है, ताकि उस दिनों की पीड़ा को कम करने के इंतजाम किए जा सकें। पहले से ही पैड लाकर घर में रखे जा सकें।
सुनील जागलान की इन सामाजिक मुहिम से गांव के गांव और शहर दिल से जुड़े हुए हैं। लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने की मांग को लेकर सुनील जागलान ने पूरे हरियाणा में लाडो पंचायत आयोजित की हैं। भारत सरकार की पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन एवं राज्यसभा सदस्य विनय सहस्त्रबुद्धे को जागलान हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपकर आए हैं, जिसमें उन्होंने अप्रैल 2020 से शुरू किए गए लाडो पंचायत अभियान के माध्यम से लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के लिए माहौल तैयार किया है। एक रिपोर्ट अभी सौंपी जानी बाकी है।
फिलहाल उनका गाली बंद घर अभियान चर्चा में है। इस अभियान का मक़सद है कि महिलाओं का जिक्र करते हुए दी जाने वाली गालियों पर रोक लगे। आज के समय में प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे भी घरों में आमतौर पर बोली जाने वाली गाली की भाषा से प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन को लगता है कि पहले घर की पाठशाला को सही करना होगा। वहां बोली जाने वाली भाषा बच्चों के मन पर सीधा असर डालती है। इसलिए यहां माहौल में सुधार बेहद जरूरी है। सुनील जागलान बताते हैं कि अनजाने में भी महिला संबंधी गाली या महिला संबंधी गाली का चुटकुलों में प्रयोग एक बार कर तो लिया जाता है, लेकिन उसके बाद वह शब्दावली में शामिल हो जाती है। उस पर कहावतें बना दी जाती हैं। इसके लिए हमें कोशिश कर महिला संबंधी गालियों का तुरंत त्याग करना पड़ेगा और यह काम अकेला कोई व्यक्ति नहीं बल्कि सबको मिलकर करना होगा।
मेवात, पलवल, गुरुग्राम, जींद, हिसार, करनाल, अंबाला, शाहबाद, सोनीपत, भिवानी और फतेहाबाद जिलों में गाली बंद घर अभियान चला रहे सुनील जागलान का कहना है कि हम इस अभियान को पूरे भारत में फैलाने जा रहे हैं तथा इस पर वेबीनार भी आयोजित करवाए जाएंगे, जिससे अभियान जल्द समय में गति पकड़ सकेगा। भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 294 के तहत इस प्रकार की अभद्र भाषा पर तीन महीने की जेल हो सकती है, लेकिन इससे भी ज्यादा अहम बात है कि यदि आप फोन पर या आम बोलचाल की भाषा में गालियों का इस्तेमाल करेंगे तो फिर आप अपने परिवार और आसपास के लोगों से अच्छा सुनने की उम्मीद नहीं कर सकते।
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