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    हरियाणा: 2808 निजी स्कूलों के बच्चों का भविष्य खतरे में, बंद MIS पोर्टल पर बढ़ा टकराव 

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 06:12 PM (IST)

    हरियाणा में 2808 निजी स्कूलों के बच्चों का भविष्य खतरे में है क्योंकि शिक्षा निदेशालय ने एमआइएस पोर्टल नहीं खोला है। प्राइवेट स्कूल संघ आरटीई के तहत 100% मुफ्त शिक्षा देने को तैयार है, लेकिन सरकार प्रतिपूर्ति राशि जारी करे। निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से स्कूलों की जानकारी मांगी है।

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    हरियाणा: 2808 निजी स्कूलों के बच्चों का भविष्य खतरे में। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 2808 निजी स्कूलों के बच्चों का भविष्य खतरे में है। कई महीने बाद भी शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों के लिए एमआइएस पोर्टल नहीं खोला है। पोर्टल खोलने को लेकर बढ़ते टकराव के बीच प्राइवेट स्कूल संघ ने दावा किया है कि स्कूल संचालक आरटीई के तहत निर्धारित 25 प्रतिशत की बजाय शत प्रतिशत बच्चों को निशुल्क पढ़ाने को तैयार हैं, लेकिन सरकार प्रतिपूर्ति राशि तो जारी करे।

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    वहीं, शिक्षा निदेशालय ने अगली कार्रवाई के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से बृहस्पतिवार तक बगैर मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों और बंद हो चुुके स्कूलाें की जानकारी मांगी है। प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि हरियाणा निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत प्रारंभिक कक्षा में सभी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों के दाखिले के लिए अनिवार्य की गई है।

    छह महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक आरटीई के तहत दाखिले देने वाले स्कूलों को प्रतिपूर्ति राशि जारी नहीं की गई है और सीटें दिखाने के बाद भी स्कूलों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। रिक्त सीटों की जानकारी नहीं देने वाले 1680 स्कूलों, जिनकी मासिक फीस एक हजार रुपए तक है, उन स्कूलों पर 30 हजार रुपये, तीन हजार तक फीस लेने वाले स्कूलों पर 70 हजार रुपये, छह हजार तक फीस लेने वालों पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।

    साथ ही छह हजार से अधिक फीस लेने वाले स्कूलों की सूची प्रमाणपत्रों सहित मांगी गई है ताकि मौलिक शिक्षा महानिदेशक के समक्ष निजी सुनवाई का अवसर मिल सके। 1128 मान्यता प्राप्त स्कूल, जिन्हें डीईईओ द्वारा मान्यता व अन्य स्थिति के आधार पर अस्वीकृत किया गया है, ऐसे एक हजार रुपये तक फीस लेने वाले स्कूलों पर 5000 रुपए, दो हजार रुपये तक फीस लेने वाले स्कूलों पर 10 हजार रुपये और तीन हजार रुपये तक फीस लेने वाले स्कूलों पर 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है।

    पांच हजार रुपये तक फीस लेने वाले स्कूलों की सूची बनाकर प्रमाणपत्रों सहित सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निदेशालय भेजनी होगी ताकि महानिदेशक मौलिक शिक्षा विभाग इन्हें भी निजी सुनवाई का अवसर दे सके। सत्यवान कुंडू ने कहा कि एमआइएस पोर्टल कई महीने से बंद होने के कारण बच्चों के आनलाइन दाखिले नहीं हो पा रहे हैं। इनमें से बहुत से स्कूलों ने आरटीई के तहत सीटें भी दिखाई हुई हैं। इसमें स्कूलों के साथ ही जिला व ब्लाक स्तर पर अधिकारियों की भी कमी रही है जो समय रहते स्कूलों को सूचना नहीं दे पाए।

    उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए एमआइएस पोर्टल को तुरंत खोला जाए। बाक्स हम गरीब बच्चों को दाखिला देने के विरोधी नहीं - कुलभूषण शर्मा फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बजट स्कूल कभी भी गरीब बच्चों के दाखिलों के विरोधी नहीं रहे हैं। वे सदैव नीति के समर्थन में रहे हैं। इसका जीवंत उदाहरण “चिराग योजना” है, जिसमें इन स्कूलों ने बड़ी संख्या में बच्चों को प्रवेश देकर उल्लेखनीय योगदान दिया है।

    शर्मा ने कहा कि यदि सरकार को दंडात्मक कार्रवाई करनी है, तो केवल उन विद्यालयों पर की जाए, जिन्होंने जानबूझकर गरीब बच्चों के दाखिलों से इंकार किया या सीटें नहीं दिखाई। परंतु जिन स्कूलों ने तकनीकी कारणों या विभागीय पोर्टल की गड़बड़ियों के कारण सीटें दिखाने का प्रयास किया और सफल नहीं हो पाए, उन्हें कार्रवाई से मुक्त रखा जाए।

    कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बजट स्कूलों की वित्तीय हालत कोरोना काल से ही संकट में है। त्योहारों के इस महीने में जब अभिभावक भी फीस समय पर नहीं दे पाते, ऐसे में भारी-भरकम जुर्माना लगाना उनके लिए गला घोंटने जैसा है। इससे न तो वे अपने शिक्षकों को तनख्वाह दे पाएंगे, न ही खुशी से त्योहार मना पाएंगे। जिन स्कूलों की फीस 1000 से 1500 या उससे भी कम है, उन पर जुर्माना लगाना बिना कसूर के सजा देने जैसा है।